गहरी साजिश तो नहीं!
अमित भटनागर,
भारतीय रेल का हेरिटेज खेल अब तूल पकडता जा रहा हैं । महाप्रबंधक कार्यालय बिल्डिंग CSMT छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को म्युजियम में बदलने के निर्णय के विरोध में दिनांक 20 फरवरी 2018 के हजारों की संख्या में रेल कर्मचारियों ने एक मजदूर संघठन CRMS के बैनर तले विशाल मोर्चा निकाला । रेलमंत्री महोदय के आदेशानुसार महाप्रबंधक कार्यालय बिल्डिंग, CSMT को रेल म्युजियम मे बदलने का निर्णय लिया गया जिसके लिये 23 जनवरी 2018 को एडवायजरी कमेटी का गठन किया गया है जिसका सेन्ट्रल रेलवे मजदूर संघ ने तीव्र विरोध किया इस एतिहासिक ईमारत का निर्माण पेसडरिक विलियम स्टीवन द्वारा दस वर्षों की लगातार मेहनत से किया गया। यह ईमारत तत्कालीन जी.आय.पी. (GIP) रेलवे का प्रथम मुख्यालय रही हैं । इसे यूनेस्को द्वारा वर्ष 2004 मे इसे विश्व धरोधर (World Heritage) के रुप मे घोषित किया गया । 121 पुरानी इस ईमारत मे कार्यरत समस्त कर्मचरियों एवं संपूर्ण भारतीय रेल की अस्मिता को ताक पर रखते हुये रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने म्यूजियम बनानी का आदेश दे दिया इस ईमारत मे कार्यरत सभी कर्मचारियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने मे तकरीबन 41 करोड रुपयों का बजट बना दिया गया उधर रेलकर्मियों का कहना है कि एक तरफ तो मेडिकल जैसी सुविधाओं के लिये तथा हमारी बुनियादे सुविधाओं के लिए तथा रेल के कई काम जैसे गैंग हट का निर्माण तथा रेल के अन्य कार्यों के लिये एक ही जवाब मिलता है कि पैसा नहीं हैं तो फिर म्युजियम के लिए वो भी पूरी बिल्डिंग इतना पैसा कहाँ से आया। CRMS के पदाधिकारियों का कहना है कि इसमें साजिश की बू आती हैं । सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ इसका विरोध करने हेतु एक विशाल रैली दिनांक 20 फरवरी 2018 को शाम 05.00 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 7 – 8 एक विशाल रैली निकाली जो महाप्रबंधक कार्यालय प्रांगण, तक पहुँचने पर एक विशाल विरोध जनसभा के रुप मे परिवर्तित हो गयी । इस जनसभा को अध्यक्ष डॉ. आर.पी.भटनागर ने संबोधित करते हुए कहा कि रेल मंत्रालय द्वारा लिया गया यह निर्णय रेल के सम्मान को आघात पहुंचाने वाला है । सी एस एम टी बिल्डिंग रेल ही नहीं अपितु देश की शान है । धरोधर को किसी भी हालत में मुझियम नहीं बनने दिया जाएगा । हर स्तर पर इसका विरोध किया जाएगा। बात ने तब तूल पकडा जब एक पेपर में खबर आयी थी CRMS के विरोध मोर्चे की वजह से जहाँ लाउड स्पीकर बढा था वहां का खंबे का हिस्सा टूटकर गिर गया। यह एक शर्मनाक बात थी परन्तु किसके लिए? सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के पदाधिकारी व रेल कर्मचारियों ने इस आरोप का पूरजोर खंडन करते हुए कहा कि अखबार में जो फोटो है उसमें ही दिखाया है कि जहाँ लाउड स्पीकर था वहां के खंबे का नहीं बल्कि दुसरी तरफ के खंबे का हिस्सा टुटा था यानि CRMS पर लगा आरोप गलत साबित हुआ। CRMS के महामंत्री डॉ.प्रविण बाजपेयी ने बताया की जिस पिलर की नक्काशी का हिस्सा टुटा है, लाउडस्पीकर उस्से दुसरी दिशा में लगा था । यूनियनों की यहां पहले भी सभाएं होती रही हैं, लेकिन इस तरह से नक्काशी का हिस्सा गिरना किसी साजिशका हिस्सा लग रहा हैं । आगे जब खुद एक पत्रकार के साथ CRMS के महामंत्री पडताल पर पहुँचे तो पाया कि अरोप गलत हैं । एक रेल कर्मी ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि यह बिल्डिंग की सफाई में जेट मशीन की तेज धार से नुकसान हुआ होगा जो प्रशासन द्वारा छुपाया जा रहा है । यह सफाई पूरी बिल्डिंग की कुछ समय पहले हुई । कितना सच है येतो जांच के बाद ही पता चलेगा।
कुछ रेल कर्मचारियों ने कहा कि ‘‘यह एकमात्र सगठन है CRMS जो रेल की अस्मिता और CSMT में काम करने वाली सभी रेलकर्मियों के गौरव के लिए लड रहा है उसे बदनाम करने के नाकाम साजिश थी। अगर एक अखबार में गलत फोटो ना छपा होता तो शायद इस साजिश का पर्दाफाश न होता। अब देखना यह है कि मंत्रीजी का म्युजियम प्रेम और रेल कर्मियों की वर्षो से रही इस घरोघर को बचाने की लडाई कहाँ तक जाती हैं?