हम सभी मोटरमैन है भाई, यातायात हम चलाते है,
मुंबई की धमनी कहलाने वाले, रेल का बीड़ा उठाते है।
घर से काम पर जानेवाले, काम से फिर घर आने वाले,
हम सभी को गंतव्य स्थान तक पहुंचाते है।
सुरक्षित और समय पर गाड़ी चलाना है काम हमारा,
हमें अपने आप पर गर्व है, मोटरमैन है नाम हमारा।
आंधी आए तूफान आए, गाड़ी चलाने से नहीं डरते हैं,
बाढ आए तो भी, गहराई नाप के आगे बढ़ते है।
खाने का कोई वक्त नहीं, ना नींद का कोई ठिकाना है,
आंखों में भले तेल डालकर, यात्रियों को घर पहुंचना है।
ख़तरों से ये घिरी नौकरी, कुछ ना समझो को बताओ,
फिर भी ना समझे तो प्रिय ‘‘रामचंद्रन’’ की याद दिलाओ।
हमारी मेहनत की कमाई, हमारा वेतन देख के रोते है,
हफ्ते में पांच दिन काम करे, और हर रात को घर में सोते हैं।
कितनी मेहनत, कितनी लगन से हम काम हमारा करते हैं,
माफ़ करो उन चंद लोगों को, जो हम पर जलते है।
गाड़ी चलाना कर्म है हमारा, कर्म ही हमारी पूजा है,
हम सभी मोटरमैन है भाई, हमसा ना कोई दूजा है।
विजयेन्द्र कामथ मोटरमैन, कल्याण
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