नागपुर। सुरक्षित ट्रेन परिचालन में ट्रैकमैन का अहम योगदान है। ट्रैकमैन खतरे के बीच 24 घंटे अकेले लाइन गश्त ड्यूटी करते हैं। सर्दी में लाइन क्रेक व बारिश में लाइन धंसने की घटना पर नजर रखकर ट्रैकमैन सैकड़ों यात्रियों व रेल संपत्ति की सुरक्षा करते हैं। ड्यूटी के दौरान ट्रैकमैन दुर्घटना व आपराधिक घटनाओं के प्रतिवर्ष शिकार होते हैं। पूरे देश में करीब 110,000 किलोमीटर में फैले रेलवे ट्रैक की देखभाल यह करते हैं. मतलब ट्रैकमैन भारतीय रेल के रीढ़ की हड्डी हैं, जो सेना के जवान की तरह काम करते हैं. इन्हीं ट्रैकमैन की समस्याओं के बारे में सीआरएमएस नागपुर मंडल के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह और महामंत्री वंडू रंधई ने मंडल रेलवे प्रबंधक को पत्र लिख कर अवगत कराया है। पत्र के माध्यम से पूछा गया है कि नागपुर रेलवे मंडल कार्यालय में अनेक ट्रैकमैन कार्यरत हैं, जो जोखिम भत्ता आदि का भरपूर लाभ ले रहे हैं। यह उन ट्रैकमैनों का अपमान किया जा रहा है, जो आठ घंटे की अपनी ड्यूटी के दौरान चार किलोमीटर पैदल चलकर आते और जाते हुए ट्रैक की देखभाल करते हैं। इस दौरान उनको कई समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है तथा उनकी जान के भी जोखिम होते हैं। ऐसे में कार्यालय के अंदर कार्य करने वाले उन ट्रैकमैन को रिस्क अलाउंस जैसे अन्य लाभ देना न्यायोचित नहीं है। यह सब मनमाना कार्य मंडल रेलवे कार्यालय के वरिष्ठ मंडल अभियंता (समन्वयक) की देखरेख में किया जा रहा है। गौरतलब हो कि इसी तरह अजनी सेक्सन अंतर्गत ट्रैकमैन के ८६ पद हैं, जिसमें २५ प्रतिशत कार्यालय में कार्यरत हैं। इन सबको अगर ट्रैक की देखभाल में कर दिया जाए तो इससे और ट्रैकमैन को थोड़ी बहुत राहत प्रदान होगी।