रेल मंत्री पियूष गोयल की राष्ट्रीय वर्कमैन संगोष्ठी

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रेलकर्मियों की आवाज बुलंद

16 जुलाई को रेलवे बोर्ड द्व्रारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर एक वर्कमैन संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें माननीय रेलमंत्री, एमओएसआर, सीआरबी जनरल मैनेजर्स व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एनएफआईआर के अध्यक्ष गुमान सिंह,एआईआरएफ के अध्यक्ष राखलदास गुप्ता, एनएफआईआर के कार्याध्यक्ष डॉ.आर.पी.भटनागर, एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम. राघवैय्या, एआईआरएफ  के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा, उपाध्यक्ष जे.जी. माहुरकर व दो मान्यता प्राप्त फेडरेशन के अन्य पदाधिकारी सम्मिलित हुए। दो फेडरेशन एनएफआईआर/एआईआरएफ ने रेल कामगारों का पक्ष पूरी मजबूती के साथ रखा।

गौरतलब हो कि इस वार्ता के दौरान एनएफआईआर के अध्यक्ष गुमान सिंह ने कहा कि एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. राघैवया के 25 वर्ष पूरे होने पर उन्हें बधाई दी। रेलवे का विकास बगैर रेल कर्मियों के कभी कल्पना करना अधूरा माना जाएगा। साथ ही रेलवे के निजीकरण की प्रक्रियाके क्षेत्र में बढ़ते कदम को दुखद करार दिया। प्राईवेट के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि कोई भी कंपनी जितना पैसा लगाएगी, स्वाभाविक है कि उससे कई गुना अधिक पैसे निकालने का वह प्रयास करेगी, जो यात्रियों के लिए आगे चलकर हानिकारक साबित होगी। रेलवे के प्रति जो रेल कर्मियों की श्रद्धा और विस्वास है, उसे बरकरार रखें। इसी में सब की भलाई है। इसके  अलावा कम समय में और कम शब्दों में बहुत सारे मुद्दों को उठाने की उन्होंने कोशिश की।

डॉ. राघवैय्या ने इस अवसर पर बोलते हुए रेल-मंत्रालय द्वारा हाल ही में बिना फेडरेशनस से चर्चा किए गए एक तरफा व मनमाने निर्णयों का जमकर विरोध किया। डीए फ्रीज करना, पदों का सरेंडर, ट्रेनों का संचालन निजी हाथों में सौंपना, उत्पादन ईकाइयों का निगामीकरण, रेलकर्मियों की अन्य समस्याओं को उजागर करते हुए डॉ. राघवैय्या ने कहा कि इन मुद्दों को शीघ्र हल न किया गया तो इसके विपरीत परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने 4 जून 2020 को रेलवे बोर्ड को उनके द्वारा लिखे पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि डिप्लोमा/ग्रेज्यूएट इंजीनियर्स, एएलपी, एकाउंट व मेडिकल स्टॉफ आदि की मांगों पर सहमति हो जाने के बाद भी अभी तक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। उन्होंने एक्ट अप्रेंटिस का मुद्दा भी उठाया।

इस अवसर पर बोलते हुए सेंट्रल और वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के अध्यक्ष और एनएफआईआर के कार्याध्यक्ष डॉ.आर.पी.भटनागर ने मध्य रेलवे के कोविड-19 संक्रमित मरीजों की समस्याओं को जोरदार ढंग से पेश किया। उन्होंने कहा कि जगजीवन राम हॉस्पीटल मुंबई सेंट्रल, जहां कोविड-19 संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है, वहां के तीन सौ बेड हैं, जो अपर्याप्त हैं। इसके अलावा मेडिकल ऑफीसर्स की भारी कमी है। जिस पर शीघ्र कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि रेलवे को व्यापारिक रूप में चलाना राष्ट्र हित में नहीं है। रेलवे का निजीकरण देश की गरीब जनता के हितों पर कुठाराघात है।

डॉ.भटनागर ने चेतावनी भरे अंदाज में गरजते हुए कहा कि डीए फ्रीज करना कतई बर्दाश्त नहीं है और उसे शीघ्र जारी करना ही होगा।

उन्होंने रेल मंत्री से दो टूक शब्दों में कहा कि जहां एक ओर रेल मंत्रालय एक के बाद एक मजदूर विरोधी निर्णय लेने में गजब की तेजी दिखा रहा है, वहीं दूसरी ओर रेलकर्मियों की तमाम समस्याओं पर वह चुप्पी साधे बैठा है। इससे कामगारों में भारी असंतोष व्याप्त है।

उपाध्यक्ष दादा माहुरकर ने ट्रैकमैन की रिस्ट्रक्चरिंग का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि 10: 20: 20: 50: का अनुपात अभी तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने उत्पादन ईकाइयों के निगमीकरण का जमकर विरोध दर्ज किया।

कुल मिलाकर एनएफआईआर के नेतृत्व में इस संगोष्ठी में रेलकामगारों का पक्ष जोरदार ढंग से रखा गया, जिसकी सभी ने सराहना की।

रेल मंत्रालय की संगोष्ठी में आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा और अध्यक्ष रखालदास गुप्ता रेल कर्मचारियों की समस्याओं का जिक्र करने के साथ ही बड़ी संख्या में ट्रेनों का संचालन प्राईवेट पार्टनर को दिए जाने के मामले में सरकार को घेरा और साफ किया कि दुनिया के दूसरे देशों में इस तरह का प्रयोग पूरी तरह फेल रहा है, इससे सबक लेते हुए सरकार को रेलकर्मचारियों पर पूरी तरह भरोसा करना चाहिए और ट्रेन का संचालन किसी को देने के पहले सौ बार सोचना चाहिए। इस दौरान एनआरएमयू के महामंत्री वेनू पी.नायर की चर्चा हुई। इस दौरान उन्होंने कहा कि परेल रेल कारखाना बंद करने के मामले पर भी हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिख विरोध जताया तथा इसे बंद करने पर सरकार को कैसा और कितना फायदा होगा। इसी तरह सरकार के रेलवे में निजीकरण के फैसले पर विरोध जताया तथा सरकार द्वारा फैसले पर भी आपत्ति जतायी। 

डॉ.भटनागर की लोगों ने की जमकर तारीफ

इस संगोष्ठी में भाग लेने के बाद एनएफआईआर के कार्याध्यक्ष डॉ.आर.पी.भटनागर द्वारा मजदूरों के पक्ष में रेल मंत्री के सामने सशक्त आवाज उठाए जाने पर लोगों ने जम कर सराहना की। मुंबई,भोपाल,जबलपुर, कोटा आदि स्थानों से लोगों ने डॉ.भटनागर की जमकर तारीफ की। एक वीडियो कांफ्रेंसिंग में डब्ल्यूआरएमएस के कोटा से खालिद और गिरिराज यादव ने कहा कि संगोष्ठी में डॉ.भटनागर ने जिस तरीके से अपनी बात रखी,उसका यहां के सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से स्थान दिया है। इसी के साथ डब्ल्यूआरएमएस के स्थानीय कार्यालय में आकर कई लोगों ने भी बधाई दी। इसी क्रम में डब्ल्यूआरएमएस के महामंत्री अशोक शर्मा तथा सीआरएमएस के महामंत्री प्रवीण बाजपेयी ने भी तारीफ की और कहा कि संगोष्ठी में मंत्री को किसी ने टोका तो मात्र डॉ.भटनागर ने। भोपाल में भी सभी प्रिंट मीडिया ने डॉ.भटनागर की बातों को प्रमुखता से स्थान दिया है। इसी तरह चंद्रमोहन उपाध्याय, ए.के. चांगरानी, बंडू रंधाई, वी.के. सामाधिया, वीरेंद्र सिंह, जमादार, किशोर पिल्लाई, उल्लाहास बागेवाड़ी, संजीव दुबे, अनिल दुबे, एस,पी. सिंह, एस.बी. पाटिल, राजेश पांडेय,डी.पी. अग्रवाल, अब्दुल खालिक, आर.के. यादव, बी.एल.मिश्रा, राजकुमार यादव, गिरिराज यादव, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल,नारायण शुक्ला आदि गणमान्यों ने डॉ. भटनागर की बेबाक तरीके से कर्मचारियों की आवाज़ रखने की तारीफ़ करते हुए संगोष्ठी में हुए वार्तालाप पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।

संगोष्ठी में क्या कहा रेलमंत्री ने?

सभी संस्थाओं से आए गणमान्यों की बात सुनने के बाद रेलमंत्री पियूष गोयल ने भारतीय रेल की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि सच्चाई ये है कि आज रेलवे को वेतन और पेंशन देने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में हमें रेल की कमाई पर भी विचार करना जरूरी है। उन्होंने कहाकि कब तक हम पुराने ढर्रे पर ट्रेनों का संचालन करते रहेंगे, हमें भारतीय रेल में भी नई तकनीक,नए सिंगनलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करना ही होगा। हमें तेज रफ्तार ट्रेनों के संचालन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना होगा, ये सब  करने के लिए हमें  पैसों की जरूरत है, इसके लिए बाजार की ओर देखना हमारी मजबूरी है। रेलमंत्री ने कहा कि ये सही है कि कोरोना के दौरान हमने माल की ढुलाई लगभग दोगुनी की, लेकिन ये भी सच है कि आज माल ढुलाई में लोगों की पहली प्राथमिकता रोड ट्रांसपोर्ट होती जा रही है, ऐसे में हमें माल दुलाई की क्षमता बढ़ाने के साथ ही व्यापारियों को और बेहतर सुविधाएं देनी होगी। उन्होंने कहा कि अभी रेलवे ने कुछ गिनती की ही ट्रेनों का संचालन शुरू किया है, लेकिन इन ट्रेनों के लिए भी पैसेंजर नहीं मिल रहे हैं। रेलमंत्री ने  दोहराया कि यहां जो लोग भी संगोष्ठी में मौजूद हैं, निश्चित रूप से उन्होंने रेलवे में लंबा वक्त बिताया है, उनका अनुभव हमसे काफी अधिक है, वो रेलवे और रेलकर्मचारियों के बारे में अच्छा सोचते हैं, लेकिन अब हमें रेलवे के विकास को सबसे ऊपर रखना होगा। रेलमंत्री ने फिर दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला है,उसे देखते हुए अप्रेंटिस के मसले पर कुछ भी निर्णय लेना आसान नहीं है। रेलमंत्री ने कहा कि वो चाहते हैं कि जल्दी ही एक और संगोष्ठी का आयोजन किया जाए, जिसमें रेल के विकास, रेल की आर्थिक स्थिति में सुधार, रेल में नई तकनीक के इस्तेमाल पर लोग नए आइडिया के साथ आएं।  गोयल ने कहा कि रेल का विकास तभी संभव है, जब रेल के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर विकास योजनाओं को तैयार करने में भागीदार बनें।

प्रतिक्रिया

अमित भटनागर उपाध्यक्ष सेंट्रल रेलवे और वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ ने प्रतिक्रिया दी कि रेल के विकास की बात करने वाले रेल मंत्री को मालूम होना  चहिये कि रेल विकास का आधार उसके रेल कर्मचारी ही हैं। उनकी समस्याओं पर ध्यान न देना और उसपे चर्चा न करना और विकास की बात करना ऐसे हुआ जैसे बिना इंजन के ट्रेन। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले पहले रेल कर्मचारी की बात करें, उनकी समस्याओं की बात करें और DA काट के जेबें कतरने की बजाय जैसा अध्यक्ष महोदय ने कहा कि तुरंत डीए रीलीज करें। अमित भटनागर ने अध्यक्ष महोदय द्वारा उठाए मुद्दों की तारीफ करते हुए कहा कि ये एक सुलझे हुए लीडर द्वारा उठाए एकदम सटीक मुद्दे थे। उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारियों की आज बड़ी समस्या कोविड से लडऩे की है और हमारे अध्यक्ष डॉ.आर.पी.भटनागर ने रेल मंत्री के सामने उसी मुद्दे से शुरुआत की, जो सही था। सेंट्रल रेलवे में लगातार कर्मचारी तेजी से इनफेक्ट हो रहे हैं और मर रहे हैं, लेकिन रेलवे में कोविड के नाम पर पैसे आने के बावजूद कल्यान हॉस्पिटल में एंबुलेस के लिए लडऩा पड़ रहा है, भायखला अस्पताल में स्टॉफ के लिए जी.एम. से कहना पड़ रहा है, माटुंगा और परेल वर्कशॉप में लोग इनफेक्ट हो रहे हैं। उसके लिए कौन से ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और अगर कदम सही कदम उठाए जा रहे हैं तो इतने कार्मचारी क्यों कोविड का शिकार हो रहे हैं? हमारे अध्यक्ष महोदय की कर्मचारियों को कोविड से बचाना बड़ी प्रथमिकता है, जिसके लिए वो लगातार जीएम/पीसीपीओ और तमाम अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं और रेल मंत्री संगोष्ठी में भी रेलकर्मियों के प्रति उनका दर्द रेल मंत्री संगोष्ठी में उनके संबोधन की शुरुआत में ही तीखे शब्दों में उभारा।

यूथ लीडर अमित भटनागर ने कहा कि डीए तुरंत देने की मांग सही थी।सरकार ने डीए रोक कर देश की सेवा सें लगे रेल कर्मचारियों की जेबें कतरनी शुरू कर दीं। अमित भटनागर ने कहा कि जिस तीखे अंदाज में हमारे मजदूर मसीहा ने प्राईवेटेजेशन का विरोध किया, उसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

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