इतिहास बनने जा रहा 113 साल पुराना आगरा का ये रेलवे स्टेशन

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अब यहां से पकडऩी होंगी ट्रेन

मथुरा-आगरा के बीच तीसरी रेल लाइन डालने के लिए आगरा के राजा की मंडी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म को जल्द तोडऩे का काम शुरू किया जाएगा। राजा की मंडी रेलवे स्टेशन पर जगह न होने के कारण यहां प्लेटफार्म को हटाकर तीसरी लाइन डाली जाएगी। चामुंडा देवी मंदिर साइड की जगह दूसरी ओर का चुनाव किया गया है। राजा की मंडी स्टेशन की जगह रेलवे अब बिल्लोचपुरा स्टेशन पर यात्री सुविधाएं विकसित करेगा।

दिल्ली-पलवल के बीच चार रेल लाइनें हैं तो मथुरा तक तीसरी लाइन पड़ चुकी है। अब इसे आगे आगरा तक डालने का काम शुरू किया जा रहा है। तीसरी लाइन में राजा की मंडी स्टेशन पर जगह न होने के कारण प्लेटफार्म हटाने होंगे। यहां दिल्ली-आगरा और इटावा आगरा लाइन पर भी दोनों ओर प्लेटफार्म हैं। चामुंडा देवी मंदिर साइड में पर्याप्त जगह न होने के कारण इसकी जगह दूसरी ओर रेलवे लाइन डालने का काम किया जाएगा।

उस ओर स्टेशन से सटी कई निजी इमारतें भी तोड़ी जाएंगी। पूर्व में रेलवे की जमीन को कई लोगों के घेरने का मुद्दा दिवंगत डीके जोशी उठा चुके थे, लेकिन अब इन इमारतों पर रेलवे का बुलडोजर चल सकता है। हाल में दस सालों में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण राजा की मंडी स्टेशन के पास ही किया गया है। राजा की मंडी स्टेशन पर कोई लूप लाइन नहीं है।

113 साल पहले बना राजा की मंडी

ब्रिटिश राज के दौरान आगरा-दिल्ली कॉर्ड में 1904 में राजा की मंडी रेलवे स्टेशन की स्थापना की गई थी। फरीदाबाद-मथुरा-आगरा रेल रूट पर 1983-84 में विद्युतीकरण किया गया था। वहीं इटावा वाली लाइन पर इस स्टेशन पर 1998-99 में विद्युतीकरण किया गया। शहर के प्रमुख और दैनिक यात्रियों के लिए मुफीद हो चुके राजा की मंडी स्टेशन पर करीब 40 ट्रेनों का ठहराव होता है।

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