चारबाग रेलवे स्टेशन पर 60 साल पुरानी जिस कैंटीन को हाल ही में बंद कराया गया है, उसकी एक महीने की कमाई एक से डेढ़ लाख रुपये थी। यानी सालाना 18 लाख रुपये। लेकिन, रेलवे को इससे किराए के रूप में सिर्फ 83 रुपये प्रतिमाह ही मिलते थे।
इसके लिए न तो कोई लाइसेंस दिया गया और न ही अलॉटमेंट लेटर। अब मामले की शिकायत जीएम के पास पहुंचने से रेलवे अधिकारियों के हाथ–पैर फूले हुए हैं। चारबाग रेलवे स्टेशन पर उत्तर रेलवे व पूर्वोत्तर रेलवे के पार्सल घरों के बीच बने कैब–वे को चौड़ा किया जाना है।
इसके लिए पास में बनी कैंटीन को सुरक्षा बलों की निगरानी में उत्तर रेलवे अधिकारियों ने खाली करवाया है। बता दें कि ईआई रेलवे कन्ज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी के तहत वर्ष 1951 से यह कैंटीन चल रही थी।
यहां से कुलियों को सस्ता भोजन दिया जाता था। अधिकारियों ने बताया कि कैंटीन से प्रतिमाह एक से डेढ़ लाख रुपये की इनकम कैंटीन मालिक को होती थी। रेलवे को किराए के रूप में सिर्फ एक हजार रुपये सालाना मिल रहा था।
अफसरों ने कैंटीन का लाइसेंस व अलॉटमेंट लेटर जांचने की जहमत नहीं उठाई। कुलियों के नेता रामसुरेश ने बताया कि कैंटीन में सस्ता, किफायती व बढ़िया खाना मिलता था। यहां से 15 रुपये में खाना, दो रुपये में चाय, पांच रुपये में बंद–मक्खन मिलता था। कैंटीन हटाए जाने से कुलियों के लिए दिक्कत हो गई है।