सुरक्षित सफर में रोड़ा बन रहीं रेलवे की लंबित परियोजनाएं

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ट्रेन को सरपट दौड़ाने की राह में रेलवे के लंबित तमाम प्रोजेक्ट ही रोड़ा बन रहे हैं। सिटी स्टेशन के समीप बनाया जा रहा रेलवे ओवरब्रिज का कार्य समय बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। निर्माण का जिम्मा सेतु निगम समेत अन्य विभाग को दिया गया है। अधिकारियों में आपसी तालमेल के अभाव से इस प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है। ओवरब्रिज बनने से दुर्घटनाओं में कमी के साथ ही जाम के झाम से भी लोगों को छुटकारा मिल सकेगा। बेहतर रेल संचालन के लिहाज से इलाहाबाद-जौनपुर मार्ग पर भी ओवरब्रिज बनाने का इंतजार है। फिलहाल इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए हरी झंडी नहीं मिल सकी है। कोहरे के दौरान रेल यात्रियों को लेट-लतीफी से बचाने के लिए जौनपुर-फैजाबाद रूट पर चलने वाली महज 29 ट्रेनों को फॉग सेफ्टी डिवाइस से लैस किया जा सका है, जबकि इस ट्रैक पर 59 गाडिय़ां चलती हैं। बाकी की ट्रेनों के लिए योजना महज प्रोजेक्ट तैयार करने तक ही सीमित है। फॉग सेफ्टी डिवाइस से कोहरे व धुंध में भी लेवल क्राङ्क्षसग की सटीक जानकारी मिलेगी। साथ ही यह ड्राइवर को ट्रैक पर संभावित दुर्घटना के मद्देनजर पहले ही अलर्ट कर देगा। ऐसे में खतरे को पहले भांप कर ड्राइवर स्पीड को कम या बढ़ा सकेंगे। जौनपुर जंक्शन से रोजाना तकरीबन चार हजार यात्री सफर करते हैं। बुनियादी संसाधनों के अभाव में ट्रेनों के अधिक लेट होने की स्थिति में यात्रियों की परेशानी काफी बढ़ जाती है। जिले में अभी भी 24 मानव रहित क्रॉङ्क्षसग है, जिससे रेल दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। रेलवे की ओर कुछ क्रॉङ्क्षसग पर फाटक बनाने की योजना भी तैयार की गई है, लेकिन कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हो सका है। रेल हादसों के बाद पटरियों से लेकर सिस्टम तक को दुरुस्त करने के तमाम दावों के बीच हादसे रुक नहीं रहे हैं। जर्जर पटरी की वजह से हुए दो हुए दो बड़े रेल हादसे में तेरह लोगों की मौत हो चुकी है। बढ़ती दुर्घटना को देखते हुए पटरियों का निर्माण कार्य भी बेहद धीमी रफ्तार से चल रहा है। सबसे खराब स्थिति जफराबाद से लेकर खेतासराय के बीच की पटरियों की है। जर्जर पटरी व ढ़ीले फिश प्लेट की वजह से दो बड़े रेल हादसों में 13 लोगों की मौत के अलावा सैकड़ों लोग घायल हुए थे। 13 मई वर्ष 2002 में मानी हॉल्ट के पास ढ़ीली फिश प्लेट की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हुई सुपर फास्ट श्रमजीवी एक्सप्रेस में दस लोगों की जान गई थी। इसके बाद 31 मई 2012 में दून एक्सप्रेस जर्जर पटरी की वजह से बेपटरी हो गई। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे। भयानक हुए इस हादसे में पटरियां दूर तक फैल गई थी। रेल दुर्घटनाओं के अधिकतर बड़े हादसे पटरियों की गड़बड़ी की वजह से हुई। ऐसे में यदि जफराबाद-खेतासराय मार्ग पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है।

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