मिशन विद्युतीकरण के जरिए डीजल को अलविदा कहेगा रेलवे

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नई दिल्ली, इंडियन रेलवे अब मिशन विद्युतीकरण शुरू करने जा रहा है। रेलवे का टारगेट है कि ट्रेनें चलाने के लिए डीजल पर निर्भरता को कम करके बिजली का अधिकतम उपयोग शुरू किया जाए। इसी मकसद से अब रेलवे ने थ्री फेज वाले इंजनों का उपयोग शुरू किया है, जिससे ब्रेक लगने पर बिजली रिजेनरेट होती है। इसके अलावा रेलवे ने यह भी तय किया है कि अगले 5 साल में रेलवे 25 हजार किमी की रेल लाइनों का विद्युतीकरण करेगा। इस तरह से अगले पांच साल में रेलवे की विद्युतीकरण वाली लाइनों का आंकड़ा डबल हो जाएगा। रेलवे मान रहा है कि अगले एक दशक में उसके इन कदमों से 26 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी।
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि मिशन विद्युतीकरण इसी सप्ताह लांच किया जा सकता है। इस मिशन का टारगेट यही है कि डीजल पर निर्भरता को कम किया जाए। उनका कहना है कि एक तो डीजल के आयात से विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है जबकि इस वक्त देश में बिजली सरप्लस है। इसके अलावा बिजली का उपयोग बढ़ाने से प्रदूषण को भी कम किया जा सकेगा।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक रेलवे अपने इंजनों की तकनीक को भी बदल रहा है और इसमें थ्री फेज तकनीक का उपयोग करना शुरू किया गया है। इसका फायदा यह है कि जब भी ट्रेन में ब्रेक लगता है तो उससे भी उर्जा उत्पन्न होकर वापस लाइनों में चली जाती है, जिसका अन्य ट्रेनों को चलाने में उपयोग किया जा सकता है। इस वक्त रेलवे के पास 5400 बिजली के इंजन हैं, उनमें से एक हजार थ्री फेज वाले हैं। रेलवे का यह भी कहना है कि अब तक रेलवे की ब्रॉडगेज लाइनों में से 25 हजार किमी लाइनों का ही विद्युतीकरण किया जा सका हे लेकिन अब रेलवे ने तय किया है कि अगले पांच साल में 25 हजार किमी लाइनों का और विद्युतीकरण पूरा किया जाए। इस तरह से 58 हजार किमी की ब्रॉडगेज लाइनों में से 50 हजार किमी लाइनें विद्युतीकरण वाली होंगी यानी वहां बिजली के इंजनों से ट्रेनें चलायी जा सकेंगी। थ्री फेज इंजन के इस्तेमाल से सिर्फ ब्रेकों की वजह से उर्जा उत्पन्न होने से रेलवे को 300 मेगावाट बिजली की बचत होगी।
एक्सट्रा कोच का भी फायदा
रेलवे के इलैक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि इस वक्त 13 जोड़ी ऐसी शताब्दी ट्रेनें हैं, जहां अभी पावर कार तो लगी है लेकिन उसमें डीजल का उपयोग नहीं किया जा रहा बल्कि ट्रेन के अंदर एसी चलाने से लेकर हर तरह के उपकरण बिजली से ही चलाए जा रहे हैं। इससे पहले पावर कार डीजल से चल रही थी और उसी से सभी उपकरण चलाए जाते थे। शुरुआती दौर में पूरी तरह से पावर कार को नहीं हटाया गया है ताकि आपातस्थिति में उसका इस्तेमाल हो लेकिन जब सिस्टम पूरी तरह से काम करने लगेगा तो ये पावर कार हटा दी जाएंगी। इस तरह से पावर कार हटने से एक अतिरिक्त कोच भी ट्रेनों में लगाया जा सकेगा।

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