नई दिल्ली, मित्तल के इस्तीफे के बाद रेलवे बोर्ड की कमान संभालने जा रहे अश्विनी लोहानी की ईमानदारी ऐसी कि हर कोई मुरीद हो जाए। बात तब की है, जब अश्विनी लोहानी इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (आईटीडीसी) के मुखिया रहे। अशोका होटल में आईटीडीसी का दफ्तर रहा। मगर इस अफसर ने कभी सरकारी पैसे से दिल्ली के इस फाइव स्टार होटल की एक कप चाय भी नहीं चखी। न बीवी-बच्चों को कभी मुफ्त पार्टी उड़ाने के लिए ही फाइव स्टोर होटल बुलाया। कभी चाय पीये भी तो पर्स से पैसे निकालकर। खर्च कम हो, इस नाते मीटिंग में खाने-पीने का सामान भी बाहर से मंगाया।
खुद को पहले नजीर बनाया। फिर अपने स्टाफ को शाहखर्ची रोकने के लिए प्रेरित किए। और भी तमाम जतन किए। नतीजा रहा कि अश्वनी लोहानी ने घाटे में चल रहे आईटीडीसी को मुनाफे में पहुंचाने में सफल रहे। मुऩाफे में कंपनी को देख हर किसी की आंखें चौंड़ी हो गईं। नहीं तो पहले यह रवायत थी कि कारपोरेशन के अफसर फाइव स्टार होटल में हर रोज लंच-डिनर से लेकर यार-दोस्तों को दावतें देकर सरकारी पैसा उड़ाते थे। स्टाफ की इसी मौजमस्ती ने कारपोरेशन को घाटे की राह पर ढकेल रखा था। दोस्तों के बीच मिस्टर टर्नअराउंड के नाम से चर्चित लोहानी के पास मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल सहित सभी चार ट्रेंड की इंजीनियरिंग डिग्रियां हैं। जिसके चलते नाम लिम्का बुक रिकॉड्र्स में दर्ज है। इससे भी बड़ी बात है कि जब यूपीए सरकार में कामनवेल्थ घोटाले में लगभग सभी केंद्रीय विभागों पर कैग ने सवाल उठाए थे तब रेलवे में डिविजनल मैनेजर रहे लोहानी ही इकलौते अफसर थे, जिनकी पीठ कैग ने थपथपाई थी। इस पद पर रहते हुए लोहानी ने नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और हजरत निजामुद्दीमन स्टेशन पर व्यापक सुधार कार्य किए।
बहरहाल, कंगाल हो चुके आइटीडीसी के मुनाफे में आने की खबर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगी। उन्होंने लोहानी को मीटिंग के लिए बुलाया। बोले-क्या आप हमारे सूबे में खस्ताहाल मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम को भी संकट से उबार सकते हो। लोहानी ने हां किया तो शिवराज ने दिल्ली से उन्हें भोपाल बुला लिया। और निगम का प्रबंध निदेशक बना दिया। जैसा शिवराज चाहते थे, उससे भी कहीं ज्यादा लोहानी अपेक्षाओं पर खरे उतरे। ईमानदारी के दम पर बंदने कमाल कर दिखाया। गलत नीतियों से मर-मिटने की कगार पर पहुंच चुका पर्यटन विकास निगम पूरी तरह जिंदा हो गया। एमपी गजब है, सबसे गजब मुहिम के जरिए मध्य प्रदेश की ख्याति देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने में सफल रहे।
घाटे में दम तोड़ते दो बड़े संस्थानों को जब इस रेलवे अफसर ने जिंदा कर दिखाया तो खबर मोदी के कानों तक पहुंची। बस फिर क्या था कि उन्होंने अश्वनी को बड़ी जिम्मेदारी देने का मूड बनाया। मोदी को लगा कि यूपीए राज में कंगाल हुए एयर इंडिया को संकट से अगर कोई उबार सकता है तो वह यही अफसर है। क्योंकि इस अफसर में ईमानदारी कूट-कूट कर भरी है। बस फिर क्या था कि मोदी ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए इंडियन रेलवे इंजीनियरिंग सर्विस के इस अफसर को एयर इंडिया का सीएमडी बना दिया। चौंकाने वाला फैसला इसलिए था कि आमतौर पर एयर इंडिया का मुखिया यानी सीएमडी किसी सीनियर आईएएस को ही बनाया जाता है। भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग सेवा (आईआरईएस) के अफसर अश्वनी को हवाई सेवाओं का कोई अनुभव भी नहीं था।
लोहानी के करीबी बताते हैं तब मोदी उनसे बोले थे-एयर इंडिया को भी अगर घाटे से उबार दो तो मैं आपकी क्षमता जानूं। लोहानी ने भी इसे चुनौती के रूप में लिया। महज एक साल के भीतर ताबड़तोड़ फैसले लिए। इधर-उधर के खर्चों में कटौती की। और एक दिन ऐसा आया कि अश्वनी ने दो हजार करोड़ से ज्यादा के घाटे में चल रही इस सरकारी नागर विमान सेवा कंपनी को 105 करोड़ के मुनाफे में पहुंचाकर जहां सबको हैरान किया वहीं प्रधानमंत्री मोदी का भरोसा जीतने में सफल रहे। अगर कोई रेलवे का अफसर हवाई जहाज वाली कंपनी की कायापलट कर दे तो हर किसी का चौंकना लाजिमी है। एयर इंडिया का सीएमडी रहते भी लोहानी की सादगी का आलम यह रहा कि वे सरदार पटेल मार्ग स्थित रेलवे कालोनी के मकान में ही निवास करते रहे। जबकि उन्हें एयर इंडिया के आलीशान बंगले में रहना था।
इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ इंजीनियर्स के 1980 बैच के अफसर अश्वनी जैसे ही अगस्त 2015 में एयर इंडिया के कुर्सी पर बैठे। सामने टेबल पर रिचर्ड बैंसन की लाइन फ्रेम कराकर रखी-यह लाइन है-क्लाइंड डोंट कम फस्र्ट, इम्प्लाइज कम फस्र्ट।
“Clients do not come first. Employees come first. If you take care of your employees, they will take care of the clients.”
यानी अश्वनी की नजर में किसी संस्थान की तरक्की में जब तक सभी स्टाफ का सौ प्रतिशत योगदान नहीं होगा तब तक वह संस्थान तरक्की नहीं कर सकता। यही वजह है कि ग्राहकों को भगवान मानने वाली धारणा से अलग हटकर अश्वनी ने स्टाफ से रोजाना संवाद कायम करना शुरू कर दिया। पायलट और एयर होस्टेस की वेतन और अन्य सुविधाओं से जुड़ी दिक्कतें दूर की। फालतू के सभी खर्चे बंद कर दिए। मीटिंग और टूर के नाम पर अफसरों की शाहखर्ची पर लगाम लगाई। यहां तक कह दिया कि कोई स्टाफ उन्हें कभी बुके आदि नहीं भेंट करेगा।
हवाई सर्विस से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि अश्वनी लोहानी ने सीएमडी बनते ही वित्तीय और प्रशासनिक अनुशासन कायम करने की दिशा में एयर इंडिया में अपने फैसलों से जो मेजर सर्जरी की, उससे एयर इंडिया का सारा रोग दूर हो गया। लाभ वाले विदेशी उड़ानों के नए रुट तय किया। उस पर फ्लाईट सर्विस शुरू की। जिससे यात्री संख्या में इजाफा हुआ। आंकड़े के मुताबिक 2015-16 में एयर इंडिया के यात्रियों की संख्या 1.8 करोड़ रही। जबकि वर्ष 2014-15 में एयर इंडिया से कुल 1.688 करोड़ यात्रियों ने उड़ान ली। मतलब पिछले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ। एयर इंडिया की प्रतिद्वंदी कंपनी स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अश्वनी ने अपनी कठिन मेहनत से एयर इंडिया की हालत सुधारने में सफलता हासिल की।
आज उसी अश्विनी के हाथ रेलवे की कमान है। चूंकि अश्विनी रेलवे सर्विस के ही इंजीनियर हैं। ऐसे में उम्मीद है कि वे भारतीय रेल को हादसों की काली दुनिया से उबार सकेंगे।