एनएफआईआर द्वारा सितंबर मो तथा 19 सितंबर को विरोध दिवस के रूप में मनाने के आवाहन पर संपूर्ण भारतीय रेलवे के साथ मध्य रेलवे के पांचों मंडलों में सीआरएमएस द्वारा द्वार सभाएं व मैन टू मैन कॉन्टेक्ट जसै कार्यक्रम आयोजित कर सरकार द्वारा रेलकर्मियों की मांगों पर दिखाएं जा रहे उदासीन रवैये का जमकर विरोध किया गया।
19 सितंबर को मध्य रेलवे के पांचों मंडलों के संबंधित मंडल रेल प्रबंधक कार्यालयों के समक्ष जोरदार मोर्चे निकाले गए।
मुंबई मंडल में इस दिन शाम 4 बजे 1000 से अधिक कार्यकर्ता व रेलकर्मी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई प्लेटफार्म नंबर 7 और 8 के बीच हाथों में तिरंगे झंडे बैनर लिए एकत्र हुए। डॉ. आर.पी. भटनागर, अध्यक्ष, ए.के. चांगरानी, कार्याध्यक्ष, आर.जी. निंबालकर, कोषाध्यक्ष, व्ही.एस. सोलंकी व अनिल महेंद्रू उपाध्यक्ष, सुनील बेंडाले, सहा. महामंत्री, विवेक शिशोदिया, मंडल उपाध्यक्ष के नेतृत्व में सभी कार्यकर्ता एक विशाल मोर्चे के रूप में जोरदार नारे लगाते हुए मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय प्रांगण में पहुंचे। वहां पहुंचकर यह विशाल मोर्चा एक द्वार सभा में तब्दील हो गया। सभा के आरंभ में श्री व्ही. एस. सोलंकी ने अपने संबोधन में विरोध माह व विरोध दिवस को आयोजन की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोरदार शब्दों में सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों की जमकर भत्र्सना की।
तदोपरांत जोरदार नारों के बीच अध्यक्ष डॉ. आर.पी. भटनागर ने सभा को संबोधित करना आरंभ किया। उन्होंने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग, नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) व रेलकर्मियों के अन्य मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फेडरेशनों के साथ रेलवे बोर्ड तथा रेल मंत्रालय स्तर पर हुई बातचीत के दौरान दिए गए तमाम आश्वासनों के बावजूद इस दिशा में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि सरकार केंद्रीय सरकारी कर्मचारियेां की तातक को कम करने की भूल कर रही है। परेल वर्कशॉप को बंद करने के निर्णय पर उन्होंने गहरा रोष प्रकट किया। उन्होंने कहा कि सीआरएमएस कामगारों की मांगों को हासिल करने में कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ेगा। उन्होंने सभी कामगारों से सीआरएमएस के बैनर तले एकजुट होने का आवाहन किया।
इस तरह भुसावल, नागपुर, सोलापुर तथा पुणे मंडलों में भी संबंधित मंडल रेल प्रबंधक कार्यालयों पर प्रचंड मोर्चा निकाला गया एवं वक्ताओं ने जोरदार शब्दों में सरकार की पीछे धकेलने वाली नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
जहां एक ओर अन्य मान्यताप्राप्त संगठन चुप्पी साधे बैठा रहा वहीं सीआरएमएस द्वारा संपूर्ण मध्य रेलवे पर व्यापक विरोध प्रदर्शन से कामगारों में सीआरएमस के प्रति विश्वास निश्चय ही बढ़ा है।