अंबाला शहर प्रदेश भर में अंबाला अब पहला ऐसा जिला बनने जा रहा है जहां जरूरतमंद बच्चों की मदद एक नहीं बल्कि दो-दो चाइल्ड लाइन करेंगी। हालांकि दोनों चाइल्ड लाइन का हेल्प लाइन नंबर 1098 जोकि पूरे देश में एक है वही रहेगा। यह चाइल्ड लाइन केवल और केवल रेलवे स्टेशन पर मिङ्क्षसग और रेलवे में आपदा में फंसे बच्चों की मदद करेगी। रेलवे को अपनी अलग चाइल्ड लाइन जनवरी माह तक मिलने की उम्मीद है। वर्तमान की बात करें तो पूरे देश में चाइल्ड लाइन के पास बच्चों से जुड़े करीब 34 हजार 833 केस आ चुके हैं। इनमें से 7315 मामलों में चाइल्ड लाइन बच्चों की मदद से लेकर उन्हें उनके परिवारों से मिलाने तक का काम कर चुकी है। अंबाला से रोजाना करीब 220 ट्रेने गुजरती हैं। रोजाना हजारों बच्चों इन ट्रेनों में सफर करते हैं। इसीलिए रेलवे की अलग से चाइल्ड लाइन बनाने का निर्णय सरकार ने लिया है। चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन की उत्तर क्षेत्रीय प्रमुख हीनू ङ्क्षसह ने 8 दिसंबर को अंबाला शहर के पंचायत भवन में हुई मंडलस्तरीय कार्यशाला में इस बात की घोषणा की थी।
क्या फायदे होंगे रेलवे चाइल्ड लाइन के :
दरअसल, वर्तमान में कार्यरत चाइल्ड लाइन पूरे जिले में अपनी सेवाएं दी रही है। इस समय जितने भी केस जिला चाइल्ड लाइन के पास पहुंचते हैं उनमें से 40 फीसदी केस रेलवे से संबंधित होते हैं। राजकीय रेलवे पुलिस को जैसे ही बच्चे की जानकारी मिलती है वह चाइल्ड लाइन को फोन करती है। इसके बाद चाइल्ड लाइन मौके पर पहुंचकर बच्चे को अपने कब्जे में लेकर उससे पूछताछ कर उसका मेडिकल कराती है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई होती है। लेकिन रेलवे की अपनी चाइल्ड होने से वहीं पर काउंटर खोला जाएगा। रेलवे स्टेशन पर काउंटर खोले जाने से जीआरपी और चाइल्ड लाइन का सीधे जुड़ाव हो जाएगा। ऐसे में बच्चे को तुरंत मदद मिलेगी।
क्या काम करेगी रेलवे चाइल्ड लाइन :
रेलवे स्टेशन पर बहुत से बच्चे नशा करते आमतौर पर देखे जा सकते हैं। इसके अलावा रोजाना कोई न कोई बच्चा मिङ्क्षसग, चाइल्ड लेबर या मानसिक व शारीरिक रूप से पीडि़त रेलवे स्टेशन पर मिल ही जाता है। ऐसे में इन बच्चों के पुनर्वास के लिए यह टीम अपना योगदान देगी। 0 से 18 साल से कम आयु वर्ग के हर उस बच्चे को रेलवे चाइल्ड लाइन मदद देगी जोकि रेलवे स्टेशन पर पाया जाएगा। इसके अलावा इन बच्चों की ट्रेङ्क्षकग और रेस्क्यू के काम भी इसी चाइल्ड लाइन को सौंपे जा सकते हैं।