6 रेलवे स्टेशनों के री-डिवेलपमेंट

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मलयेशियाई कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी

इन स्टेशनों की री-डिवेलपमेंट कॉस्ट लगभग 5,000 करोड़ रुपये

नई दिल्ली, मलयेशिया सरकार की कंपनी कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री डिवेलपमेंट बोर्ड (सीआईडीबी) भारत में रेलवे निवेश कर सकती है। यह कंपनी उदयपुर, हावड़ा, इंदौर, सिकंदराबाद, पुणे और फरीदाबाद रेलवे स्टेशन री-डिवेलपमेंट के लिए होने वाली नीलामी में शामिल होगी। रेलवे मिनिस्ट्री के बड़े अधिकारियों ने बताया कि इन स्टेशनों की री-डिवेलपमेंट कॉस्ट 5,000 करोड़ रुपये हो सकती है। सीआईडीबी होल्डिंग मलयेशिया ने इस बारे में चिट्ठी लिखकर रेलवे बोर्ड को जानकारी दी है। उसने कहा है कि वह मलयेशिया की कंपनियों की तरफ से इन स्टेशनों के लिए स्विस चैलेंजिंग बिडिंग प्रोसेस के तहत बोली लगाएगी। यह चिट्ठी सीआईडीबी होल्डिंग मलयेशिया के चेयरमैन जुदीन अब्दुल करीम ने लिखी है। इसमें यह नहीं बताया गया है कि वहां की किन कंपनियों की इस प्रॉजेक्ट में दिलचस्पी है। चिट्ठी17 जून को लिखी गई है।
भारतीय रेलवे ने इस साल मार्च में मलयेशिया में एक रोडशो किया था। इसमें रेलवे सेक्टर में मौजूद निवेश के मौकों के बारे में वहां की कंपनियों को जानकारी दी गई थी। मलयेशियाई बोर्ड ने पहले नॉमिनेशन रूट से स्टेशनों के री-डिवेलपमेंट में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन रेलवे ने उससे स्विस चैलेंज ऑक्शन के जरिए बोली लगाने को कहा। रेलवे ने मलयेशियाई कंपनियों को बताया कि नॉमिनेशन रूट से स्टेशनों के री-डिवेलपमेंट का काम देने की कानूनन इजाजत नहीं है। 2014 में भारत ने रेलवे में ऑटोमेटिक रूट से 100 पर्सेंट एफडीआई की इजाजत दी थी। अब तक विदेशी कंपनियां 3,500 करोड़ रुपये की लागत से बिहार में दो लोको फैक्ट्रीज लगा चुकी हैं। रेलवे के ऑपरेशन बिजनस में मलयेशियाई कंपनियों की तरफ से स्टेशन री-डिवेलपमेंट में पहला बड़ा विदेशी निवेश आ सकता है। रेलवे अधिकारी ने बताया कि इन प्रॉजेक्ट्स में जापान और दक्षिण कोरिया की कई कंपनियों ने भी दिलचस्पी दिखाई है। भारतीय रेलवे 400 स्टेशनों का री-डिवेलपमेंट करवाना चाहता है।
पहले फेज में इनमें से 23 के लिए बोली लगेगी। स्विस चैलेंज मेथड में प्रपोजल ऑनलाइन मंगाए जाते हैं और राइवल कंपनियां काउंटरबिड कर सकती हैं। जिस कंपनी को किसी रेलवे स्टेशन को री-डिवेलप करने का काम मिलेगा, उसे वहां 45 साल के लिए कमर्शल राइट्स भी मिलेंगे। बोली जीतने वाली कंपनी को स्टेशन को विश्व स्तरीय बनाना होगा। उसे नए प्लेटफॉर्म तैयार करने पड़ेंगे, लिफ्ट की सुविधा देनी होगी और अन्य पैसेंजर सुविधाएं बढ़ानी होंगी। इसके साथ ही स्टेशन की देखरेख का जिम्मा भी उसका होगा। इसके ऐवज में रेलवे उन्हें होटल, मॉल, सिनेमाहॉल और स्टेशन कॉम्प्लेक्स के अंदर दुकानें तैयार करने की इजाजत देगा।

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