फैमिली विरासत में मिला पैसा बच्चे के लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है

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हर मां-बाप को अपने बच्चों से प्यार होता है। वे उनकी परवरिश का पूरा ख्याल रखते हैं। उनकी खुशी का ख्याल मरते दम तक होता है। वे इतनी संपत्ति छोड़कर जाना चाहते हैं कि उन्हें किसी चीज की कमी नहीं हो। लेकिन हर शख्स इतना खुशकिस्मत नहीं होता। मतलब कुछ मां-बाप के पास बच्चों के नाम छोडऩे लायक कुछ बचता ही नहीं। कुछ बच्चे (युवा, या अधेड़) ऐसे होते हैं कि विरासत उनकी कीमत घटा देती है, यानी सेल्फवर्थ को जीरो कर देती है। समाज उनकी हर कामयाबी को उनकी मेहनत नहीं बल्कि विरासत से जोड़कर देखने लगता है। इन सबके चलते उन्हें शर्म, अपराधबोध और दुविधा महसूस होने लगती है। वे खुद को अलग-थलग महसूस करने लगते हैं।
कई बार लोग जाने-अनजाने जलने लगते हैं और उनके प्रति व्यवहार में अक्सर जताने भी लगते हैं। कई बार बेवजह की यह जलन उनके प्रति एक घृणा का रूप ले लेती है। विरासत में बुजुर्गों से संपत्ति पाने वाला बेकसूर शख्स भी आम लोगों से कटा-कटा रहने लगता है। उसकी कोशिश होती है कि वह ऐसे लोगों के बीच उठे-बैठें, जिन्हें विरासत में मिली उनकी संपत्ति से कोई फर्क नहीं पड़ता।
विरासत में संपत्ति पानेवाले ऐसे शख्स के मन में क्या चलता रहता है, यह जानने के लिए बारबरा बॉलिन इनहेरिटेंस प्रोजेक्ट चलाती हैं और उनके इंटरव्यू छापती हैं। उनके हिसाब से पैरंट्स को चाहिए कि वे समय रहते बच्चों को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार करा दें। यह काम कई चरणों में किया जा सकता है। जैसे पहला चरण, यह हो सकता है कि पेरेंट्स शुरुआत से ही बच्चों को जताना शुरू कर दें कि उन्हें क्या मिलने वाला है। उनकी प्राथमिकताओं को समझें और उनको यह समझने में मदद करें कि विरासत में मिली संपत्ति का सदुपयोग कैसे कर सकते हैं। पैसों को किसी ट्रस्ट में डालने का कोई मतलब नहीं निकलेगा, अगर मकसद एक ना हो।
अगर बच्चा चाहता है कि वह कुछ संपत्ति समाज के साथ शेयर करे या अच्छे काम के लिए दान करे तो उनको इसके लिए तैयार करना चाहिए। स्टडी से पता चला है कि लोग विरासत में मिली संपत्ति अपनी प्रकृति के हिसाब से भौतिक सुख साधन, निवेश, सामाजिक कार्य वगैरह में लगाते हैं। उनको उसी हिसाब से तैयार किया जाना चाहिए। दूसरा चरण, मकसद तय करने में उनकी मदद की जाए। अगर बच्चे का सपना दूरदराज के गांव में स्कूल चलाना है तो शहर में 2क्च॥्य में पैसा फंसाने का कोई मतलब नहीं बनता। पैरंट्स बच्चे का यह सपना पूरा करने के लिए अपनी संपत्ति का एक हिस्सा उसकी बेहतर पढ़ाई लिखाई पर खर्च कर सकते हैं। ऐसे काम की लिस्ट बनाने में बच्चे की मदद करना चाहिए जो उसका जीवन बेहतर बनाए।
तीसरा, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे वित्तीय तौर पर साक्षर बनें। विरासत में अपार संपत्ति पाने वालों के लिए कुछ ऑनलाइन स्कूल भी हैं। वहां वित्तीय फैसले लेने, उसके नफा नुकसान, कॉस्ट, फीस, टैक्सेशन कंप्लायंस वगैरह के बारे में बताया जाता है। बच्चा आगे चलकर जटिल कार्यों के लिए पेशेवर की मदद ले सकता है लेकिन अपनी जरूरत को समझने के लिए वित्तीय रूप से साक्षर होना भी जरूरी है।
चौथा, जब विरासत में संपत्ति मिलती है तो दोस्तों रिश्तेदारों का संपर्क बढ़ जाता है। इनमें चाटुकारों, साजिश करनेवालों, बिना ब्याज उधार मांगने वाले अच्छी खासी की तादाद होती है। उधार लेने वालों में भी कई ऐसे होते हैं जो यह मान बैठे होते हैं कि वह कौन-सी अपनी कमाई दे रहा है। ऐसे में पैरंट्स को चाहिए कि वे बच्चों को कुछ रकम देकर भूल जाना भी सिखाएं।

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