नई दिल्ली, भारत देश में ऐसा कोई विरला ही होगा जिसने रेल यात्रा न की हो या फिर रेल से उसका पाला यदा कदा न पड़ता हो. इसी साल से रेल बजट के आम बजट में विलय करने के बाद सरकार ने भारतीय रेल से जुड़े कई महत्वपूर्ण ऐलान भी किए. आइए आज जानें पांच ऐसे महत्वूपूर्ण डेवेलपमेंट जो रेल यानी सीधे सीधे आपकी सुरक्षा, सुखद रेल सफर और जरूरतों से जुड़े हैं.
शताब्दी और राजधानी, ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों की कई वर्षो तक शिकायत सुनने के बाद अब जाकर रेल मंत्रालय इन ट्रेनों का कायापलट करने की तैयारी में है. मंत्रालय ऑपरेशन स्वर्ण शुरू करने की तैयारी में है, जिसका मकसद राजधानी तथा शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों में सेवाओं को सुधारना है. पहले चरण के तहत, अपग्रेड करने के लिए मुंबई-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस तथा मुंबई-अहमदाबाद शताब्दी एक्सप्रेस का चयन किया गया है. काम 26 सितंबर से शुरू होगा. लवे देश भर में अपने परिसरों में जन औषधि केंद्रों को खोलने की अनुमति देगा ताकि आम आदमी को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत सस्ती दवाएं उपलब्ध हो सकें. जन औषधि अभियान की शुरुआत सरकार ने लोगों को सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के लिए की हैं. ये दवाएं प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों के माध्यम से बेची जानी हैं. रेलवे औषधि विभाग के साथ समझौता कर रेल परिसरों में दुकानें खोलेगा. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, हमने रेलवे स्टेशनों, दवा दुकानों, कार्यशालाओं और रेल परिसर में जहां भी संभव है जन औषधि केंद्र बनाने का निर्णय किया है. प्लेटफॉर्म और अन्य रेल परिसरों में दवा दुकान खोलने के तौर तरीके पर काम किया जा रहा है.
यात्रियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने में लगी भारतीय रेल अब उद्यागपतियों को आकर्षित करने के लिए जल्दी ही आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक रात की डबल-डेकर रेल सेवा शुरू करेगी. रेलवे नई सेवा उदय एक्सप्रेस के जरिये महानगरों को जोडऩे पर गौर कर रही है. उद्योग मंडल फिक्की द्वारा पिछले दिनों बताया गया, हम व्यापारी यात्रियों के लिए उदय एक्सप्रेस शुरू करेंगे. इसमें वे रात में यात्रा शुरू करेंगे और सुबह गंतव्य पर पहुंच जाएंगे, ताकि वे अपनी होटल की लागत बचा सके.
रेल यात्री अब जल्द ही बेहतर नेट कनेक्टिविटी का आनंद उठाएंगे. रेलवे मुख्य मार्गों को उच्च गति मोबाइल कम्यूनिकेशन से लैस करने की तैयारी कर चुका है. इससे न केवल पटरियों की हालत के बारे में गैंगमेन, लोको पायलट और स्टेशन मास्टर के बीच सीधा संपर्क स्थापित होगा बल्कि रेलवे की संपत्तियों पर समय पर निगरानी रखने में भी मदद मिलेगी. रेल अभियान को बदलने के लिए इस क्षेत्र को जरूरी मानते हुए रेलवे उच्च गति मोबाइल कम्यूनिकेशन कॉरिडोर स्थापित कर रहा है. पब्लिक पार्टनरशिप मॉडल की मदद से इसपर 5,000 करोड़ खर्च किया जाएगा. मौजूदा समय में रेलवे इस एप्लीकेशन के संचालन के लिए वायरलेस सिस्टम का प्रयोग करता है. रेलवे ने कुछ चयनित मार्गों पर ट्रेन चालक और ट्रेन कंट्रोलर के बीच वॉयस कम्यूनिकेशन के लिए जीएसएम-आर नेटवर्क लगाया था.
दिल्ली-मुंबई और दिल्ली- हावड़ा रेल गलियारों में ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिये महत्वकांक्षी 18,000 करोड़ रुपये की परियोजना को नीति आयोग की मंजूरी मिल गयी है. इसे अब मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिये रखा जाएगा. यह बड़ी परियोजना रेल परिचालन में बड़ा बदलाव लाएगी और भारतीय रेलवे नेटवर्क के इन व्यस्त मार्गो पर ट्रेनों का परिचालन 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हो सकेगा.
भारतीय रेलवे कुल 3330 किलोमीटर में ट्रेन प्रोटेक्शन एंड वॉर्निंग सिस्टम (टीपीडब्ल्यूएस) लगाने जा रही है जिससे खास खंडों में रेलगाड़ी से यात्रा करना अब ज्यादा सुरक्षित और तेज हो जाएगा. इसमें 2000 करोड़ रूपए की लागत आएगी. दुर्घटना रोकने वाला यह आधुनिक तंत्र दो चरणों में तीन से चार वर्ष में लागू हो जाएगा. रेलवे ने इस तंत्र को पायलट प्रोजेट के तौर पर कुछ वर्ष पहले कुछ खास खंडों में शुरू किया था.