अभी हाल ही में कोलकाता में एक फ्लाईओवर ब्रिज ढह गया। कई बेकसूर लोगों की जान चली गई। उनके परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। इस हादसे में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति हेतु हम परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करने हैं तथा उनके शोक संतृप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। इस ब्रिज का काम काफी अर्से से चल रहा था और उसकी गुणवत्ता की जांच समय-समय पर संबंधित अधिकारियों द्वारा की जानी थी। हादसा हो जाने के बाद सरकार नींद से जागी और आनन-फानन में सभी उड़ान पुलों व एलीवेटर इत्यादि की जांच पड़ताल करने के आदेश निकाले गए हैं। हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं। परंतु सवाल यह उठता है कि हादसा हो जाने के बाद ही सरकार क्यों जागती है। पहले से ही सावधानी क्यों नहीं बरती जाती। गुणवत्ता और सुरक्षा के जो मापदंड हैं उनका पूर्णतया पालन क्यों नहीं किया जाता। आतंकवादी जब चाहे हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाकर हमला कर जाते हैं। मुंबई में आतंवादी हमला हुआ। उसके बाद सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाए गए। रेलवे स्टेशनों पर मैटल डिटेक्टर, सुरक्षा बल तैनाती ओर न जाने क्या-क्या किया गया। आज सब गायब हैं और अगर हैं तो उनका होना न होना बराबर है। क्या सरकार फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है। गुणवत्ता के साथ समझौता वहीं होता है जहां भ्रष्टाचार होता है। बिना सांठ-गांठ के कॉन्ट्रेक्टर मानकों और नियमों की अवहेलना कर ही नहीं सकता। इसे रोकने के लिए सरकार को कड़े से कड़े नियम बनाने चाहिए तथा दोषी व्यक्तियों को कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए।
भविष्य में ऐसे हादसे न हो यह सुनिश्चित करना सरकार का परम कर्तव्य है। सर्तकता और सावधानी समय रहते बरती जाए तो अच्छा होगा।