कैग रिपोर्ट का दावा हुआ सच, पेंट्रीकार की बिरयानी में मिली छिपकली

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नई दिल्ली, 22 जुलाई को नियंत्रक व महालेखा परीक्षक(कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि स्टेशनों व ट्रेनों में परोसे जाने वाला खाना इंसान के खाने लायक नहीं है। मंगलवार को हावड़ा से दिल्ली जा रही पूर्वा एक्सप्रेस की पैंट्रीकार की बिरयानी में छिपकली मिलने से यह बात सिद्ध भी हो गयी।
इस ट्रेन के फस्र्ट एसी कोच (एचए-वन) में जसीडीह से टुंडला जाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह अपने एक साथी के साथ ट्रेन में सवार हुए। इसके तुरंत बाद उन्होंने पैंट्रीकार वेंडर को वेज बिरयानी का ऑर्डर दिया। थोड़ी देर में वेंडर बिरयानी उपलब्ध कराया और खाने लगे। दो-चार चम्मच खाने के बाद छिपकली दिखी, तो उन्होंने खाना छोड़ तत्काल पैंट्रीकार के स्टाफ से इसकी शिकायत की।
इसके बाद अधिवक्ता ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु, रेल मंत्रालय, दानापुर रेल मंडल के डीआरएम व आइआरसीटीसी के ट्विटर हैंडल पर शिकायत करते हुए मेडिकल सुविधा की मांग की। लेकिन, चार घंटे बाद भी पटना जंक्शन तक मेडिकल सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी।
झाझा स्टेशन पर बिगड़ गयी तबीयत
जसीडीह स्टेशन से सवार संतोष कुमार सिंह का पीएनआर नंबर 6304124406 और एसी कोच एचए-वन में एक नंबर बर्थ था, जबकि उनके साथी का बर्थ ए-टू में 51 नंबर था। झाझा स्टेशन पहुंचते से पहले ही यात्री की तबीयत बिगडऩे लगी।
ट्रेन जंकशन पहुंची, तो यात्री के मित्र ने दवा दी और फिर टुंडला के लिए रवाना हो गये। यात्री ने बताया कि बड़े दुख के साथ कहना पड़ा रहा है कि प्रभु के रेल प्रभु भरोसे ही है। खाने में छिपकली मिलने की शिकायत फोटो के साथ ट्विटर हैंडल किया, इसके बावजूद पटना तक मेडिकल सुविधा नहीं दी गयी। उन्होंने स्टेशन पर इसकी लिखित शिकायत दर्ज करायी है।
इससे पहले कैग अपनी रिपोर्ट में रेलवे को बेकार बताकर कहकर साफ कर चुका है कि वहां मिलने वाला खाना खाने लायक नहीं है। कहा गया था कि खाना गंदे पानी से बनता है। सोशल मीडिया पर अब लोगों ने रेल मंत्री को घेर लिया है। लोग जवाब मांग रहे हैं।
बता दें संसद में 21 जुलाई को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (ष्ट्रत्र) ने रेलवे द्वारा परोसे जाने वाले खाने को लेकर चौंका देने वाली रिपोर्ट पेश की थी। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया था कि रेलवे का खाना इंसानों के खाने लायक ही नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि दूषित खाद्य पदार्थों, रिसाइकिल किया हुआ खाना और डब्बा बंद व बोतलबंद सामान का इस्तेमाल एक्सपाइरी डेट के बाद भी किया जाता है। 74 स्टेशनों और 80 ट्रेनों के निरीक्षण में सीएजी ने पाया कि खाना तैयार करने के दौरान सफाई पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जाता।
सीएजी ने यह खुलासा भी किया है कि कैसे खाना बनाने में साफ-सफाई पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया जाता। खाना या फिर ड्रिंक्स तैयार करने के लिए सीधे नल से अशुद्ध पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

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