पहले सर्विस टैक्स भी होता था रिफंड, यात्रियों में रोष
रेलवे के आरक्षण केंद्र से रिजर्व टिकट को निरस्त कराने में यात्रियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्लीपर का टिकट कैंसिल कराने पर रेलवे कैंसिलेशन चार्ज के अलावा पांच फीसदी जीएसटी भी काट ले रहा है। बुधवार को सेंट्रल पर टिकट कैंसिल कराने पहुंचे यात्रियों ने इसका विरोध किया। मामला रेलवे के अफसरों के संज्ञान में आ गया है।
टिकट कैंसिल कराने पर काटा जीएसटी
कानपुर के निवासी श्याम नगर के कुमार अंजनी ने बताया कि उन्होंने अपने भाई, पत्नी और बच्चों के साथ दिल्ली जाने के लिए 26 जून को पांच टिकट 1450 रुपये के बुक कराए थे। उन्हें यात्रा 15 जुलाई को शिवगंगा एक्सप्रेस से करनी थी लेकिन अब वह नहीं जाएंगे।
जब टिकट रद कराने पहुंचे तो उन्हें सर्विस टैक्स का रिफंड तो मिला नहीं बल्कि कैंसिलेशन चार्ज के 40 रुपये के अलावा प्रति व्यक्ति 12 रुपये (4.50 प्रतिशत) की दर से 60 रुपये जीएसटी कट लिया गया। उन्होंने कहा कि रेलवे कर्मचारी खुद ही जीएसटी नहीं समझ पा रहे हैं।
एक अन्य रेल यात्री बबिता ने बताया कि उन्हें परिवार के पांच सदस्यों के साथ 20 जुलाई को पुष्पक एक्सप्रेस से मुंबई जाना था लेकिन अब वह और उनके पति नहीं जाएंगे। स्लीपर क्लास में टिकट कंफर्म था पर दो टिकट कैंसिल कराए।
दोनों यात्रियों के 1170 रुपये के टिकट पर 26 रुपये जीएसटी और 40 रुपये कैंसिलेशन चार्ज कट लिया गया। हालांकि यह समस्या ऑनलाइन टिकट बुक कराने में नहीं है क्योंकि इसमें 10 से 15 दिनों बाद यात्री के खाते में रिफंड वापस जाता है। इसमें सर्विस टैक्स का रिफंड भी शामिल होता है।
इससे पहले रेलवे हर टिकट पर 4.5 फीसदी सर्विस टैक्स जोडक़र टिकट बेचता था। कैंसिलेशन पर यह टैक्स वापस भी कर दिया जाता था। लेकिन अब सर्विस टैक्स की जगह स्लीपर टिकट पर 4.5 फीसदी और एसी के टिकट पर पांच जीएसटी लग रहा है। कैंसिलेशन पर जीएसटी भी काट लिया जा रहा है।
रेलवे एनसीआर जोन के सीपीआरओ जीके बंसल ने कहा कि एसी यात्रा पर टिकट साढ़े चार प्रतिशत सर्विस टैक्स की जगह पांच प्रतिशत जीएसटी है। टिकट रद कराने में यात्रियों को होने वाली परेशानियों की जानकारी नहीं मिली है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों से बात की जाएगी।