जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर रेल मंडल मुख्यालय जबलपुर में बीती देर रात काफी हलचल भरी रही. रेल प्रशासन ने अचानक रेल दुर्घटना का मॉकड्रिल कराने का निर्णय लिया. आनन-फानन में खतरे के सायरन बजाये गये. रेल कर्मचारियों, अधिकारियों की सजगता, कर्मठता व समयबद्धता जांचने के लिए किये गये इस मॉकड्रिल में लगभग एक दर्जन कर्मचारी फेल हो गये. जिनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. बताया जाता है कि शनिवार 27 जुलाई व रविवार 28 जुलाई की दरमियानी रात जब सभी लोग गहरी नींद के आगोश में थे, तभी अचानक 12.45 बजे रेलवे क्षेत्र में खतरे का सायरन बजने लगा. सुनसान रात में सायरन की यह आवाज पूरे क्षेत्र सहित आधा शहर में गूंजने लगी, जिससे लोगों में किसी बड़े रेल हादसे की आशंका होने लगी. लोग अपने-अपने स्तर पर सायरन बजने के कारणों का पता लगाने लगे. बताया जाता है कि रेल प्रशासन ने सभी तरह प्रसारित किया कि जबलपुर-कटनी रेलखंड के डुंडी-स्लीमनाबाद के गेट नंबर 337 पर एक वाहन रेल फाटक को तोड़कर अंदर आ गया, जिसमें कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, इस खबर के बाद एक्सीडेंट मेडिकल रिलीफ वैन भी आर्डर की गई और रेलवे अस्पताल में भी सायरन बजाया गया.
डीआरएम सहित तमाम अधिकारी, कर्मचारी स्टेशन पहुंचे
बताया जाता है कि देर रात 2 बजे के लगभग सायरन बजने के कुछ मिनटों के बाद डीआरएम डा. मनोज कुमार सिंह सहित तमाम अधिकारी, रेलवे अस्पताल के डॉक्टर्स, सपोर्टिंग स्टाफ, दुर्घटना राहत ट्रेन के कर्मचारी, अधिकारी पहुंचे और राहत गाड़़ी को चलाया जाता है, उसके ठीक 2 मिनट बाद डीआरएम ने मॉकड्रिल घोषित करते हुए उपस्थित कर्मचारियों, अधिकारियों को उनकी कर्मठता, समयबद्धता के लिए बधाई दी. मॉकड्रिल घोषित करने के बाद अधिकारियों, कर्मचारियों ने राहत की सांस ली.
एक दर्जन स्टाफ नहीं पहुंचा
बताया जाता है कि इस मॉकड्रिल के दौरान लगभग एक दर्जन कर्मचारी, जिनकी ड्यूटी इन आकस्मिक परिस्थितियों में दुर्घटना राहत ट्रेनों में रहती है, वे समय पर नहीं पहुंचे या पहुंचे ही, नहीं, ऐसे कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है.