रेलवे में गार्ड दीपक पराशर ने बताया कि 16 साल की नौकरी में उन्होंने दो बाद ही अपने परिवार के साथ दिवाली मनाई है। हालांकि, इसका उन्हें मलाल नहीं है। पैसेंजर्स को उनके ठिकाने तक सुरक्षित पहुंचाने से ही उनकी दिवाली हो जाती है। दीपक ने बताया कि 6 वर्ष पहले उन्हें दिल्ली डिव्ीजन के डीआरएम की ओर से बेहतरीन काम करने के लिए पुरस्कार भी मिला था। उस वक्त वह तुगलकाबाद से मालगाड़ी लेकर चले थे। पानीपत के पास उन्हें पता चला कि एक कोच में धुर (एक्सल) से धुंआ निकल रहा है। यह गंभीर मामला था। उन्होंने तुरंत ड्राइवर को इन्फॉर्म किया और मालगाड़ी रुकवाई। अगर वह ऐसा नहीं करते हो गाड़ी पटरी से उतर सकती थी। दीपक का कहना है कि उन्हें त्योहारों के दिन ड्युटी करने में मजा आता है। उनके 13 वर्ष और 9 वर्ष के दो बच्चे हैं। शुरुआत में उनकी पत्नी और बच्चे भी उनसे कई बार पूछते थे कि दिवाली या होली पर आप घर क्यों नहीं आते हो? उन्हें बड़े प्यार से समझाता था कि अगर हम घर पर बैठ जाएंगे तो हजारों लोग त्योहार मनाने अपने घर कैसे जा पाएंगे। एक की ड्युटी से अगर हजारों को खुशी मिलती हो तो हमें वह काम जरूर करना चाहिए। अब बच्चे खुश रहते हैं और जब वह ड्युटी के बाद घर जाते हैं, तो त्योहार सेलिब्रेट करते हैं। त्योहार के लिए जब वह ट्रेन लेकर स्टेशन से निकलते हैं, तो यात्रियों के चेहरों की खुशी देखकर उन्हें बेहद प्रसन्नता होती है। त्योहारों पर घर जाने वालों के चेहरे में खुशी जो झलकती है।