घर की छत पर दौड़ रही है ये खास ट्रेन
रेल बजट की चर्चा अब भले ही अलग से न हो रही हो लेकिन रेल को लेकर प्रयोग अभी भी जारी हैं। हम जिस प्रयोग की बात कर रहे हैं, उसे करने वाला न तो कोई आईआईटी का छात्र है, और न ही कोई इंजीनियर। बल्कि ये प्रयोग किया है लकड़ी का फर्नीचर बनाने वाले एक कारीगर नौशाद ने। जिन्होंने लकड़ी से ही एक रेलगाड़ी बना डाली।
नौशाद की बनाई हुई लकड़ी की रेल लकड़ी की पटरियों पर ही सरपट दौड़ रही है। इस ट्रेन को देखकर लोग हैरान भी हैं और नौशाद के हुनर की तारीफ भी कर रहे हैं। इस में एक इंजन और चार डिब्बे हैं। इस ट्रेन के हर कोच में जगमगाती लाइटें भी लगी हैं।
घर की छत पर दौड़ रही इस ट्रेन को बनाया है सहारनपुर निवासी मौहम्मद नौशाद ने। नौशाद लकड़ी का फर्नीचर बनाने वाले एक आम कारीगर हैं। हैरानी की बात ये है कि नौशाद केवल दूसरी कक्षा तक ही पढ़ें हैं। उसके बाद उन्होंने न तो कभी स्कूल का मुंह देखा और न ही कोई तकनीकी शिक्षा हासिल की।
नौशाद ने आज तक को बताया कि करीब दस माह पहले उन्होंने कहीं इंटरनेट पर जापान की बुलैट ट्रेन देखी थी, जो उन्हें बेहद पसंद आई। बस वहीं से उन्हें लकड़ी की ये ट्रेन बनाने का आइडिया मिला। दस माह पहले ही उन्होंने इस ट्रेन को बनाने का काम शुरू किया था। जो अब जाकर पूरा हुआ है।
नौशाद ने इस ट्रेन को चलाने के लिए अपने घर की छत पर ट्रैक बनाया है। इस ट्रेन को चलाने के लिए बिजली की दो मोटर का इस्तेमाल किया गया है। इंजन को पॉवर देने के लिए इसके ट्रैक में बिजली की तारें लगाई गई हैं। इस ट्रेन को खूबसूरत बनाने में नौशाद ने कोई कमी नहीं छोड़ी।
जैसे–जैसे लोगों की इस ट्रेन के बारे में पता चल रहा है, लोग उसे देखने के लिए आ रहे हैं।नौशाद के काम को सबके सामने लाने वाले सोशल वर्कर एम. तबरेज का कहना है कि नौशाद भले ही पढ़ा लिखा नहीं है, लेकिन उसने इस काम से अपनी काबलियत को साबित किया है।तबरेज के मुताबिक नौशाद की आर्थिक हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। वह किसी तरह से उसकी मदद भी करना चाहते हैं।
लेकिन बावजूद इसके उसने इस ट्रेन को बनाने में काफी मेहनत और पैसा खर्च किया है. उनकी इस ट्रेन के चर्चे पूरे शहर में हो रहे हैं. नौशाद, सहारनपुर के खात्ताखेड़ी इलाके में रहते हैं।