जबलपुर केंद्रीय अस्पताल के डायरेक्टर साहब फरमाते हैं…

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”कर्मचारी तो चार्जशीट पाने के लिए ही होते हैं”

  • वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ ने जताया कड़ा विरोध…
  • अस्पताल छोड़कर भागे डायरेक्टर साहब…
  • काली पट्टी बांधकर किया विरोध…
  • भोपाल में भी हुआ विरोध…
केजुअल्टी डॉक्टर रात में ड्यूटी में फरमाते है आराम
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केन्द्रीय रेल चिकित्सालय में प्रतिमाह लाखों का वेतन पाने वाले डॉक्टर इलाज करने के बजाए अफसरशाही करने में लगे हुए है, जिससे विगत वर्षो में कई मरीज लापरवाही की भ्ंोट चढ़ गए है । आए दिन ड्यूटी पर पदस्थ अस्पताल कर्मचारियों को प्रताडि़त कर अछूतों जैसा व्यवहार, किया जाता है। महिला कर्मचारियो को मानसिक रूप से प्रताडि़त  और बेवजह चार्जशीट देने की धमकी दी जाती है। दो दिन पूर्व दिनांक 09.01.2016 को मरीज छोटेलाल लोहार, सी एंड डब्ल्यू, जबलपुर 10 बजे  के लगभग पेट दर्द की शिकायत पर रेल अस्पताल गया जहां केजुअल्टी डॉक्टर आनन्द ने उन्हें दवा व इजेक्शन आदि देकर भर्ती कर लिया तथा नर्स सविता दुबे के पूछने के बावजूद डॉ. आनंद ने ई.सी.जी. करने से मना करते हुए सुबह  ई.सी.जी. करने के निर्देष दिए, जिसका पालन दुबे व वार्ड नर्स कपिल प्रभावत तथा मो. अरशद खान ने कर सुबह ई.सी.जी. किया। तत्पश्चात फिजीशियन डॉ कमलेश कुमार  निरीक्षण पर आए और डॉ. एस.के. राय के निर्देश पर तीनो नर्सो को चार्जशीट देने का फरमान सुनाया, जबकि ड्यूटी डॉक्टर को कुछ नहीं कहा। जिससे अपनी ड्यूटी कर्मठता से निभाने वाले अस्पताल स्टॉफ वे. से. रे. म. संघ के नेतृत्व में मेडीकल डायरेक्टर डा. एस.के. राय के पास अपनी पीड़ा बताने गये तो सुनने के बजाए आक्रोशित होकर उलटे स्टॉफ को संघ के सामने फटकार लगाते हुए कहा कि कर्मचारी तो चार्जशीट पाने के लिए ही होते है और अधिकारी चार्जशीट देने के लिए और वे अपना कक्ष छोड़कर निकल आए। एमडी के व्यवहार से क्षुब्ध होकर मजदूर संघ तथा अस्पताल स्टाफ ने एमडी के खिलाफ जमकर नारे बाजी कर प्रदर्शन किया। 43डॉ. कमलेश, डॉ. डोगरे तथा डॉ. आर.ए. मिश्रा द्वारा निर्दोश कर्मचारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही न करने के आश्वासन के बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ। 12 जनवरी को एमडी के रवैये के विरोध में काली पटटी बांधकर कर्मचारियों ने कार्य किया। मजदूर संघ के मंडल अध्यक्ष अशोक यादव ने बतााया कि रात में ड्यूटी डॉक्टर सर्वसुविधा युक्त एसी कक्ष में आराम फरमाते है और आकस्मिक मरीज के आने पर नर्स के बुलाने पर कभी-कभी नाराज भी हो जाते है और लापरवाही होने की दशा में अपने ऊपर लगे के आरापों को नर्स, ड्रेसर व अन्य स्टॉफ पर मड़ देते है जबकि नर्स व अन्य स्टॉफ बकायदा पूरी रात जागकर मरीजों की देखभाल करते है। विगत 11 जून 2015 को रेलकर्मी की प्रसूता पत्नी आरती कुमारी की मौत महिला डॉक्टर के नहीं आने से इलाज के आभाव में हो चुकी है और ऐसे अनगिनत प्रकरण डॉक्टरों की लापरवाही के सामने आए है जिसे अस्पताल प्रबंधन ने दवा दिये हैं।
संघ के महामंत्री अशोक शर्मा, कार्यकारी महामंत्री एस.के. वर्मा, संयुक्त महामंत्री सतीश कुमार, मंडल अध्यक्ष अशोक यादव, मंडल सचिव डी.पी. अग्रवाल, सहायक महामंत्री डी.पी. श्रीवास्तव, शैलेन्द्र गौर, संजय चौधरी, रामसिंह , दीपक केसरी, त्रिभुवन सिंह, ललन सिंह रावत, विष्णु देव शह, विजय दुबे, शेख फरीद, दीना यादव, राकेश सिंह, अवधेश तिवारी, एस.आर बाउरी, सविता त्रिपाठी, प्रमिला दुबे आदि ने अस्पताल प्रबंधन को चेतावनी देते हुये कहा कि यदि डाक्टरो द्वारा इलाज में लापरवाही बरती गई और अस्पताल के किसी भी श्रेणी के कर्मचारी को बेवजह प्रताडि़त किया गया तो उग्र आन्दोलन होगा।

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