19 जुलाई को महाप्रबंधक मध्य रेलवे श्री डी.के. शर्मा ने अपनी टीम के साथ माटुंगा वर्कशॉप का सघन दौरा किया। यह वर्कशॉप 1915 में स्थापित हुआ था। 100 वर्षों से भी अधिक की जीवन-यात्रा में इस वर्कशॉप ने भारतीय रेलवे में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पहले यहां तत्कालीन जीआईपी रेलवे के ब्रांड गेज एवं नैरो गेज कोचेस तथा वैगनों की मरम्मत एवं रखरखाव का कार्य होता था। वर्तमान में यहां मेन लाइन एवं ईएमयू कोचेस का पीओएच और हैवी कोरोजन रिपेयर का कार्य उत्कृष्ट ढंग से किया जाता है।
पहले आईएसओ 9001 फिर 14001 और अब आईएमएस द्वारा यह वर्कशॉप प्रमाणित है। यहां के कुशल कारीगरों एवं सुपरवाइजर्स ने अनेक चुनौतियों का बखूबी सामना किया है एवं विपरीत परिस्थितियों में भी निर्धारित टारगेट को पूरा किया है। महाप्रबंधक महोदय के दौरे से पहले तमाम तरह की तैयारियां की गईं जिनके चलते वर्कशॉप की कायापलट हो गई। साफ-सफाई, रोगन-पेंट, सभी कुछ चकाचक कर दिया गया। लो-लाइंग एरिया होने की वजह से यहां बारिश के दिनों में जल-भराव की विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है। महाप्रबंधक महोदय ने अपने दौरे के दौरान प्रत्येक कार्य को बारीकी से परखा एवं सराहना भी की। ऐसा नहीं है कि यहां समस्याएं नहीं हैं जहां काम होता है वहां समस्याओं का होना स्वाभाविक है। मैटिरियल की कमी, सड़कों की खराब हालत, शेड व नार्थ लाइट ग्लास की टूट-फूट, उचित ड्रीनेज सिस्टम का अभाव, स्टाफ की कमी, आदि बहुत सी ऐसी समस्याएं है जिनके प्रति सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ, माटुंगा शाखाओं ने जागरुकता दिखाते हुए महाप्रबंधक महोदय को ज्ञापन सौंपा एवं चर्चा भी की। महाप्रबंधक महोदय ने आश्वासन दिया कि उन पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। समस्याओं के निपटान में फंड की उपलब्धता आडे आती है। यदि मुख्यालय और रेलवे बोर्ड द्वारा उचित मात्रा में फंड उपलब्ध कराया जाए तो वर्कशॉप की काया-पलट हो सकती है तथा सुरक्षित रेल परिचालन सुनिश्चित किया जा सकता है। महाप्रबंधक दौरे की एक खास बात यह रही कि एक माह पहले मुख्य कारखाना प्रबंधक का कार्यभार संभालने वाले रिषिलाल ने जिस ढंग से दिन-रात एक कर के वर्कशॉप में सुधार एवं प्रजेंटेशन किया वह काबिल तारीफ है। आशा है कि उनका यह उत्साह और जज्बा बना रहेगा एवं माटुंगा वर्कशॉप प्रगति नए आयाम जरूर तय करेगा। कर्मचारियों के प्रमोशन के मामले एवं लंबित डी.ए.आर.केस भी शीघ्र हल होंगे।