मुंबई, बदबूदार टॉयलेट, खराब पंखे, प्लैटफॉर्म की टूटी छत इत्यादि की शिकायत होने पर अब हमें स्टेशन पर वाई-फाई की सुविधा, एस्केलेटर्स और लिफ्ट से बहला दिया जाता है। रेलवे द्वारा दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं की बजाय अब कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत दी जानी वाली सुविधाओं के फीते काटे जा रहे हैं।
रेलवे मंत्रालय की सबसे बड़ी उपलब्धि ट्विटर शिकायत केंद्र पर रोजाना मुंबई से दर्जनभर ट्वीट्स ऐसे होते हैं जिनमें कभी एस्केलेटर्स, कभी एटीवीएम मशीन तो कभी वाई-फाई बंद पड़े रहने की शिकायत मिलती है। दरअसल यात्री सुविधाओं के लिए इन मशीनों को स्टेशनों पर लगा तो दिया गया है लेकिन इनके रखरखाव के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है। बारिश में और भी मुसीबत बढ़ जाती है, जबकि रखरखाव का जिम्मा जिन कंपनियों को दिया गया है उनके आदमी मौके से अकसर नदारद मिलते हैं।
अभी यह हालत है, तब क्या होगा?
वर्ष 2018 तक मुंबई के उपनगरीय स्टेशनों पर विभिन्न माध्यमों से 102 नए एस्केलेटर्स लगने वाले हैं। इनमें से 30 एस्केलेटर वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (डब्ल्यूसीएफएल) द्वारा सीएसआर के तहत फंड किया जा रहा है। मध्य रेलवे के उपनगरीय स्टेशनों पर 60 नए एस्केलेटर्स लगाए जाएंगे। मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा एस्केलेटर्स के रखरखाव के लिए प्रत्येक स्टेशन पर ऑपरेटर मौजूद हैं। ये ऑपरेटर्स सुबह 6 बजे एस्केलेटर चालू कर देते हैं और दिनभर में समय-समय पर ऑपरेशन चेक करते रहते हैं। इन ऑपरेटरों को रेलवे की ओर से रखा गया है। भविष्य में जब मध्य रेलवे पर और 55 एस्केलेटर लगेंगे तब और ऑपरेटरों की जरूरत होंगी।
रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य सुभाष गुप्ता के अनुसार, एक ओर रेलवे पैसे नहीं होने का रोना रोती है दूसरी ओर उन्हें यात्री सुविधाओं को चलाने के लिए ऑपरेटर रखने पड़ रहे हैं। एस्केलेटर लगाने में कोई बुराई नहीं है लेकिन मूलभूत सुविधाओं को नजरअंदाज कर ऐसी सुविधाएं देना बुरी बात है।
बारिश से होती है परेशानी
मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पानी के कारण एस्केलेटर के संचालन में बार-बार गड़बड़ी आती है। बुधवार को डोंबिवली, विद्याविहार और ठाणे स्टेशनों पर एस्केलेटर में पानी चले जाने के कारण बंद पड़ गए। जिन एस्केलेटरर्स को स्टेशन के बाहर लगाया गया है अक्सर उनमें ऐसी शिकायत आती है। इसके अलावा कई बार बच्चे या शरारती तत्व एस्केलेटर पर लगे रेड बटन को दबा देते हैं जिसके कारण ये स्वचालित सीढिय़ां बंद पड़ जाती हैं। ऐसी स्थिति में एसएमएस अलर्ट मिल जाता है जिसे ऑपरेटर को फॉरवर्ड किया जाता है। दूसरी ओर पश्चिम रेलवे के वसई, गोरेगांव, भाईंदर और नालासोपारा स्टेशन से एस्केलेटर बंद पड़े रहने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं।
एनआरयूसीसी के पूर्व सदस्य शैलेष गोयल के अनुसार, पश्चिम रेलवे पर वसई और भाईंदर के एस्केलेटर अक्सर रखरखाव की समस्या के चलते बंद रहते हैं। इनकी कई बार शिकातर की लेकिन कोई स्थाई हल नहीं है। गोयल ने बताया कि ऐसी ही समस्या एटीवीएम मशीनों में हो रही है। उपनगरीय स्टेशनों पर लगी औसतन 30 प्रतिशत एटीवीएम मशीनें हमेशा खराब रहती हैं, बारिश के दिनों में यह आंकड़ा 40-50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
चिप से निकलेगा समस्या का हल
पश्चिम रेलवे के कई स्टेशनों पर वॉल्टेज फ्ल्क्चुएशन की वजह से एस्केलेटर में गड़बड़ी हो रही थी। इससे निजात पाने के लिए भाईंदर, नालासोपारा और वसई पर एस्केलेटर में चिप लगाकर पिछले तीन माह से ट्रायल किए जा रहे हैं। एस्केलेटर बंद होने पर चिप की सहायता से संबंधित विभाग को अलर्ट चला जाता है। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवीन्दर भाकर के अनुसार, हमारे यहां एस्केलेटर की मॉनिटरिंग के लिए अलग से स्टाफ नहीं है। हमने इसका बजट भी निकाला था जो पौने दो करोड़ रुपये प्रतिमाह के करीब हो रहा है। इसलिए हमने तकनीक की सहायता से हल ढूंढना बेहतर समझा। हो सकता है भविष्य में अतिरिक्त स्टाफ रखना पड़े, उस वक्त हम कुछ स्टेशनों के लिए लोगों को हायर कर सकते हैं।
कहां लगेंगे एस्केलेटर्स : सीएसटी-2, भायखला-2, चेंबूर-2, बदलापुर-2, पनवेल-2 और कर्जत स्टेशन पर 2। चिंचपोकली-1, परेल-1, माटुंगा-1, सायन-1, नाहुर-1, मुलुंड-1, कलवा-1, मुंब्रा-1, दिवा-1, शिवड़ी-1, तिलकनगर-1 और कसारा पर 1।
मौजूदा स्थिति : मध्य रेलवे – दादर-3, कुर्ला-2, ठाणे-2, डोंबिवली-2, कल्याण-2, विद्याविहार-1, भांडुप-1, उल्हासनगर-1, बदलापुर-1, कांजुरमार्ग-1, विक्रोली-1, मुलुंड-1 प्रत्येक स्टेशन पर एक एस्केलेटर।
पश्चिम रेलवे : अंधेरी-7, भाईंदर-3, बोरिवली-5, दादर-4, विलेपार्ले-1, गोरेगांव-6, कांदिवली-1, वसई रोड-2, नालासोपारा-2