दानापुर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-5 पर 23 नवम्बर को 12792 दानापुर–सिकंदराबाद एक्सप्रेस की एसी बोगी तक अचानक एक कार पहुंच गई। ट्रेन की बोगी तक तेजी से पहुंची कार को देख प्लेटफार्म पर मौजूद यात्रियों और उन्हें पहुंचाने आए परिजनों में अफरातफरी मच गई। कार से कुछ लोग उतर कर ट्रेन में सवार हो गए। जैसे ही इसकी सूचना मिली, आरपीएफ के जवान वहां पहुंचे। तब तक रेल पुलिस भी पहुंच गई।
कार चला रहे युवक विकास कुमार को नो पार्किंग के लिए 500 रुपए का जुर्माना लेकर छोड़ दिया गया। इसी बीच, एक यात्री राजीव द्विवेदी ने इसकी जानकारी तस्वीर के साथ ट्विटर के माध्यम से रेल मंत्री सुरेश प्रभु को दी। इसके बाद रेल मंत्रालय से सूचना मिलने पर दानापुर रेल मंडल के अधिकारी तेजी से हरकत में आ गए। डीआरएम कार्यालय द्वारा आरपीएफ को जांच के आदेश दिए गए हैं। रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर कार और उसके चालक का पता लगाया जा रहा है। राजकीय रेल पुलिस भी मामले की जांच में जुट गई है।
वरीय मंडल सुरक्षा आयुक्त चंद्रमोहन मिश्र ने बताया कि मामला बेहद गंभीर है। इससे यात्रियों की जान को खतरा हो सकता था। कार प्लेटफार्म पर कैसे पहुंची और किस स्तर पर लापरवाही हुई, इसकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। रेल एसपी जितेंद्र नारायण मिश्रा ने बताया कि रेल थानाध्यक्ष से रिपोर्ट मांगी गई है। जांच के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पूरे मामले में सुरक्षाकर्मियों द्वारा रेल और यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं की घोर अनदेखी की गई। लापरवाही का आलम यह कि जुर्माना करनेवाले रेल पुलिस के अधिकारी को यह भी नहीं पता कि कार में कौन लोग सवार थे और कार को लेकर प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेन तक किसलिए पहुंचे थे। वाहन में क्या था, इसकी भी जांच नहीं की गई।
इस बात पर किसी का ध्यान नहीं गया कि कार के ट्रेन से टकराने या पटरियों पर गिरने से बड़ी दुर्घटना हो सकती थी और यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती थी। ऐसे में यह गंभीर सवाल उत्पन्न होता है कि हाल में हुई दुर्घटनाओं के बावजूद रेलवे ने सबक क्यों नहीं लिया। लगातार सुरक्षा के सख्त कदम उठाए जाने की बात कहने वाली रेल के परिसर में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई।