गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के प्रभाव से रेलवे से जुड़ी इंडस्ट्री भी अछूती नहीं रही। नई टैक्स नीति के कारण खासतौर पर फैब्रिकेशन का काम करने वाले दोआबा समेत पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ के लगभग 175 उद्योगों को 455 करोड़ से अधिक की क्षति झेलनी पड़ी है। पूरे देश में भारतीय रेलवे को विभिन्न कलपुर्जों की सप्लाई करने वाले देश के लगभग डेढ़ से दो लाख यूनिट इसकी जद में है। एशिया में सबसे अधिक कोच बनाने वाले रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) कपूरथला समेत पूरे रेलवे के तमाम टेंडर एक साल के लिए मान्य होते हैं। उसे कलपुर्जे सप्लाई करने वाली जिन फर्मों ने टेंडर भरे थे, उन्हें जीएसटी के कारण एक ही झटके में सैकड़ों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।
कपूरथला की एक फर्म को साढ़े तीन करोड़, एक फर्म को 30 करोड़़ व जालंधर, लुधियाना, पंचकूला, चंडीगढ़, मोहाली व अंबाला समेत पंजाब एवं हरियाणा की 155 से 175 फर्मों को कुल 455 करोड़ की मार झेलनी पड़ी है। कपूरथला व जालंधर में कलपुर्जे के 32 यूनिट हैं। इन दोनों जिले के सप्लायरों को 125 करोड़ तक का नुकसान हो चुका है।
घाटे के कारण सप्लाई कम, कोच निर्माण 50 फीसद घटा
75 फीसदी फर्मों ने घाटे के कारण सप्लाई कम अथवा बंद कर दी है। इस कारण कोच के निर्माण का काम भी आधा रह गया यानी 50 फीसद कम हो गया। रोजाना 6 कोच बनाने वाली आरसीएफ में कई महीनों तक प्रतिदिन 3 कोच ही बनते रहे। अब भी हालात ज्यादा नहीं सुधरे।
जीएसटी व पीवीसी (प्राइज वेरीफीकेशन क्लॉज) के कारण कपूरथला की ओंकार अमरदास एंड संज और राज इंडस्ट्री दो फर्में बंद हो चुकी है। इन दोनों को 14 प्रतिशत पीवीसी का नुकसान झेलना पड़ा और 15 फीसदी स्टील की मार्केट अप चली गई। सप्लाई कम होने से 15 से 17 हजार मुलाजिम की नौकरी भी खतरे में पड़ गई है।
क्यों बने ऐसे हालात
जीएसटी लागू होने से पहले रेलवे सप्लायरों को कच्चे माल पर 12 फीसद एक्साइज ड्यूटी और 6 फीसद वैट अदा करना पड़ता था और बाद में रेलवे उन्हें 12 फीसदी रिफंड कर देता था, पर जीएसटी लागू होने पर उन्हें कच्चे माल पर तो 18 फीसद जीएसटी देना पड़ रहा है। रिफंड पर 7 फीसदी का कट लगा चुका है। टेंडर भी एक साल के लिए होने के कारण सप्लाई भी उसी टर्म में देनी होती है। इसके अलावा स्टील के रेट में 12 से 15 फीसद की वृद्धि हो चुकी है।
जीएसटी कौंसिल को फिर से करना होगा विचार
कपूरथला-जालंधर चेंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्य पीएस सिद्धू व सुभाष गांधी ने बताया कि रॉ-मैटीरियल पर 18 फीसदी जीएसटी अदा करना पड़ता है। रिफंड पर सात फीसदी का कट लगने से करोड़ों का नुकसान हो रहा है। स्टील के रेट बढऩे से वह दोहरी मार झेल रहे है। रेलवे सप्लायरों को बचाने के लिए जीएसटी कौंसिल को उचित कदम उठाने होंगे।