जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने 348 दिन बाद फिर से रामायण–मय्यड़ रेलवे ट्रैक के पास धरना शुरू कर दिया है। इस बार का धरना स्थल भी पिछली बार रेलवे ट्रैक से महज 100 मीटर से भी कम दूरी पर है।
बीते साल 16 फरवरी को ट्रैक के साथ एनएच की ओर धरने पर जाट खुद बैठे थे। इस बार प्रशासन ने ट्रैक के दूसरी ओर एक खेत छोड़कर जगह उपलब्ध कराई है। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के नेतृत्व में जाट समुदाय के लोग रामायण रेलवे ट्रैक के पास पहुंचे।
जाट नेशनल हाईवे की ओर जा रहे थे। इस बीच फाटक बंद होने के कारण वाहन थम गए। डीआरओ ब्रह्मजीत अहलावत, एसडीएम अशोक बंसल, डीएसपी नरेंद्र कादयान बातचीत के लिए पहुंचे। अधिकारियों ने पूछा कि धरना कहां लगाओ पहले अनुमति ले लो। समिति के सदस्यों ने कहा कि हम नेशनल हाइवे तथा रेलवे ट्रैक के बीच में हिम्मत सिंह के खेत में धरने पर बैठेंगे।
डीएसपी नरेंद्र कादयान ने कहा कि धारा 144 लगी है। वहां पर धरना नहीं देने देंगे। आप मय्यड़ स्टेडियम में धरना दे लो। समिति के प्रदेश महासचिव महेंद्र पूनिया ने इनकार करते हुए कहा कि हम रोड के करीब ही रहेंगे।
एसडीएम अशोक बंसल ने कहा कि हम आला अधिकारियों से बातचीत कर लें आप इंतजार करो। आला अधिकारियों को फोन पर पूरी जानकारी देकर निर्देश मांगे। इसके बाद एसडीएम अशोक बंसल ने कहा कि ट्रैक से एक एकड़ छोड़कर आप खेत में धरने पर बैठ जाओ। समिति के सदस्यों ने पहले तो इनकार किया।
बाद में समिति ने कहा कि हम किसी तरह का टकराव नहीं चाहते। इस कारण इस खेत में ही धरने पर बैठेंगे। एसडीएम ने मौके पर मौजूद पटवारी को बुलाया फिर खेत मालिक के बारे में जानकारी मांगी। पता लगा कि खेत सेठ मदन का है, जिसने बुआई के लिए सुरेश को दे रखा है।
सडीएम ने बातचीत कर खेत मालिक को धरना स्थल के लिए जमीन देने पर सहमत करा लिया। करीब दो बजे जाट समाज के लोग गेहूं के खेत में धरने पर बैठ गए। कुछ घंटे बाद धरना स्थल पर दरी पहुंची। धरना स्थल के करीब 150 मीटर दूर आरएएफ की कंपनी को तैनात किया गया है। जो रेलवे ट्रैक की सुरक्षा करेगी।