आने वाले समय में ट्रेन के भीतर टीटीई प्राथमिक डॉक्टर की भूमिका भी निभाएंगे। इसके लिए उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। हार्टअटैक जैसी गंभीर बीमारी की स्थिति में भी टीटीई प्राथमिक उपचार देने में सक्षम होंगे। गंभीर स्थिति में किसी स्टेशन पर ट्रेन रोककर यात्री को इलाज दिलवाया जाएगा।
कई ऐसी ट्रेनें हैं, जिनका स्टापेज तीन से चार घंटे बाद होता है। कुछ नई ट्रेनों को शुरू किया जाना है जिनका स्टापेज छह घंटे के बाद होगा। ऐसी ट्रेनों में यदि यात्री बीमार हो जाता है या हार्ट अटैक पड़ता है तो उसे इलाज मुहैया कराने की दिशा में विभाग ने कदम उठाया है। इसके लिए टीटीई को प्रशिक्षित किया जाएगा।
वैसे ट्रेन में इलाज की कोई व्यवस्था नहीं होती है। टीटीई की सूचना पर स्टापेज वाले स्टेशन पर रेलवे चिकित्सक से यात्री का इलाज कराया जाता है। समय पर इलाज न मिलने से कई यात्रियों की मौत तक हो चुकी है। इस स्थिति से निपटने के लिए रेल प्रशासन टीटीई को प्रशिक्षण तो देगा ही, साथ ही प्राथमिक उपचार से संबंधित कुछ दवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
रेलवे कर्मियों को प्रशिक्षित करने के साथ ही गंभीर रूप से बीमार यात्रियों को आपात स्थिति में इलाज देने के लिए हर जिला मुख्यालय में बड़े प्राइवेट अस्पताल से अनुबंध भी किया जाएगा। राजधानी, शताब्दी, मेल के अलावा लंबे स्टापेज वाली ट्रेनों को बीच के किसी स्टेशन पर रोककर यात्री को प्राइवेट अस्पताल में इलाज दिलाया जाएगा।इससे यात्रियों को समय से बेहतर इलाज मिल सकेगा। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीएस रावत ने बताया कि रेल मंडल के सभी जिला मुख्यालय में बड़े प्राइवेट अस्पताल से अनुबंध के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। कर्मचारियों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिलाने की भी योजना है।