टैल्गो ट्रेन को लेकर रेलवे के आला अधिकारियों में ठनी

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नई दिल्ली, स्पेन की टैल्गो ट्रेन को लेकर रेलवे मंत्रालय के आला अधिकारियों की आपस में ठन गई है। मंत्रालय के कुछ अधिकारियों का मानना है कि टैल्गो ट्रेन को भारत लाने से पहले और भी देशों की ट्रेनों को देखना चाहिए, जबकि कुछ आला अधिकारी सिर्फ टैल्गो को ही भारतीय रेल ट्रैक पर चलाने की पैरवी में लगे हैं।
इसे लेकर घमासान मचा है। सूत्रों के मुताबिक टैल्गो पर आपत्ति करने वाले अधिकारी रेलवे बोर्ड के मेंबर ट्रैफिक हैं, जिनकी अनुमति के बिना यात्री सुविधा संबंधी एक भी फ़ाइल आधिकारिक रूप से आगे नहीं बढ़ सकती है। बड़ी बात यह है कि इन्होंने जब आपत्ति जताई, तो पूरे मामले से उन्हें बाहर कर यह फाइल सीधे रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष व मेंबर मेकेनिकल डील करने लगे हैं। शुरुआत में रेलवे बोर्ड के फाइनेंस कमिश्नर ने भी आपत्ति जताई थी, पर बाद में उन्होंने टैल्गो पर सहमति जाहिर तो कर दी, लेकिन फाइल में मेंबर ट्रैफिक की बात को भी सही ठहराया है।
दरअसल रेलवे बोर्ड के मेंबर ट्रैफिक मोहम्मद जमशेद ने इस ट्रेन पर आपत्ति उठाई है। डेढ़ पेज के आपत्ति में जमशेद ने शुरू में ही लिखा है कि आखिर टैल्गो ही क्यों, जब हमारे पास जर्मन तकनीक पर आधारित लिंक हाफ मैन बुश (एलएचबी) कोच है, और इसे टैल्गो की तरह ही क्लियर ट्रैक मिले तो जितने समय में टैल्गो दिल्ली से मुंबई पहुंचती है उतने समय में ही कम लागत की भारतीय ट्रेन सफर तय करने में सक्षम है। टैल्गो का औचित्य इसलिए भी नहीं है कि वह सिर्फ चेयर कार वाली ट्रेन है। बैठने की सीट भी काफी कम है। इतना ही नहीं, स्पेन की कंपनी स्लिपर कोच में तब्दील करने को तैयार है, लेकिन इस काम में उसे चार साल लगेगा।
जमशेद ने लिखा है कि टैल्गो कंपनी अपनी मर्जी से भारत में ट्रायल रन को आई थी। यह दलील कहीं से जायज नहीं है कि टैल्गो के ट्रायल रन पर सौ करोड़ रुपए खर्च हुआ है। टैल्गो के लिए नियमों में परिवर्तन करने का कोई औचित्य नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक उन्होंने लिखा है कि बकायदा टेंडर की प्रक्रिया होनी चाहिए, अगर टैल्गो कम्पनी सफल होती है तो उसे टेंडर दिए जाने में कोई आपत्ति नहीं हैं। इस आपत्ति के बाद टैल्गो की फाइल पर विचार करने के लिए भी मेंबर ट्रैफिक के पास नहीं भेजा जा रहा है। अब यह फ़ाइल रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एके मित्तल, मेंबर मैकेनिकल और फाइनेंस कमिश्नर के पास ही सिमट गई है।
रेलवे के आला अधिकारी सूत्रों के अनुसार मेंबर मैकेनिकल ने अपनी दलील में फाइल में लिखा है कि टैल्गो ने सौ करोड़ रुपए ट्रायल में खर्च किया है, समय की भी बचत हो रही है, लिहाजा इस कंपनी को दरकिनार नहीं किया जा सकता। इसके बाद इस फाइल पर दोबारा फाइनेंस कमिश्नर ने लिखा है कि मेंबर मेकेनिकल का तर्क तो ठीक है, लेकिन मेंबर ट्रैफिक भी ठीक कह रहे हैं।

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