रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (आरसीटी) की भोपाल बैंच के नए ज्यूडीशियल मेंबर मदन मोहन पारिख अखबारों की सुर्खियों में बने हुए है〡 आरसीटी भोपाल में लगभग 2600 केस पेंडिंग पड़े हुए है फरियादी फैसले का इंतजार कर रहे है〡 ऐसे में नए ज्यूडीशियल मेंबर मदन मोहन पारिख ने मार्च में पद भार सँभालते ही 18 कार्यदिवस में 72 केसों का निपटारा और अप्रैल में 20 कार्यदिवस में 137 केसों में फैसला सुनाकर अपनी कार्य शैली को परिचित करा दिया है〡जो की आरसीटी के इतिहास और अपने आप में रिकॉर्ड है।
ट्रेन दुर्घटना में पति की मौत के बाद रीवा निवासी कामिनी पांडेय ने वर्ष 2005 में रेलवे से मुआवजे के लिए रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (आरसीटी) की भोपाल बेंच में केस दायर किया। कामिनी को 10 साल तक केस में तारीख पर तारीख मिलती रहीं। 10 साल में 100 से अधिक तारीख मिलने के बाद कामिनी ने न्याय की उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन मार्च में आरसीटी की भोपाल बेंच में जब नए ज्यूडीशियल मेंबर मदन मोहन पारिख ने कार्यभार संभाला तो केस की अगली तारीख पर कामिनी की फाइल कोर्ट में आई। ज्यूडीशियल मेंबर ने फाइल देखते ही कहा कि इस मामले में सब कुछ साफ है तो अनावश्यक इस केस को इतना लंबा क्यों खींचा गया। उन्होंने तत्काल रेलवे को आदेश जारी कर इस मामले में 4 लाख रुपए मुआवजा राशि चुकाने को कहा।
पारिख ने 6 मार्च को भोपाल बेंच ज्वाइन की थी। इस वक्त यहां 2600 पेंडिंग केस थे। 38 कार्यदिवस में 209 केसों का निपटारा करके पेंडेंसी 2400 पर ले आए हैं। उनका मानना है कि जब किसी मामले में साक्ष्य कोर्ट में हैं तो फैसले के लिए आवेदक को इंतजार कराने का क्या औचित्य?
अनोखा फैसला
रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (आरसीटी) में मुआवजे से जुड़े एक मामले में फैसला आने से पहले ही आवेदकों की मौत हो गई। परिवार में सिर्फ चार और छह साल के मासूम भाई–बहन रोहन और ख़ुशी ही बचे। नए ज्यूडीशियल मेंबर मदन मोहन पारिख ने रेलवे को आदेश दिया की दोनों बच्चों को 2-2 लाख रूपये मुआवजा और 4 साल का ब्याज 10% से दिया जाये इस राशि को उनके खाते में फिक्स करवा दिया जाये जिसे उनके बालिग होने पर ही उन्हें दिया जाये〡दरअसल 26 अक्टुबर 2009 को जबलपुर के मदनमहल स्टेशन से पिपरिया जा रहे राजकुमार वर्मा को धक्का लगने के कारण ट्रैन गिरकर मौत हो गई थी 〡जिसकी मुआवजा राशि के लिए राजकुमार की पत्नी, माँ और पिता ने केस दर्ज किया था, लेकिन फैसला आने से पहले ही उनकी मौत हो गई〡इस फैसले को मानवीय आधार पर लिया गया एक बड़ा फैसला माना जा रहा है〡