हरित परिवहन प्रणाली की सब्सिडी लेना चाहती है रेलवे

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भारतीय रेल स्वयं को परिवहन के हरित साधन के रूप में स्थापित कर सरकार से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति हासिल करने का प्रयास करेगी। जल परिवहन के बाद रेल परिवहन ही यातायात का सर्वाधिक पर्यावरण अनुकूल साधन है। जबकि सड़क परिवहन और वायु परिवहन से पर्यावरण को अत्यधिक क्षति पहुंचती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल सरकार से हरित हर्जाना वसूलने का मन बना रही है। इसके लिए दुनिया की विभिन्न रेल प्रणालियों को मिलने वाली पर्यावरण सब्सिडी का अध्ययन किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आस्ट्रेलियन रेलवे के अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि वहां रेलवे के 70 फीसद खर्च की भरपाई इस आधार पर की जाती है कि रेलवे ने परिवहन के अन्य साधनों के मुकाबले पर्यावरण को कितनी कम क्षति पहुंचाई और इसका आर्थिक मूल्य क्या था। यह कार्य वहां का परिवहन नियामक के जिम्मे है जो सड़क, वायु, जल और रेल परिवहन प्रणालियों का तुलनात्मक अध्ययन कर उनके पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर उनके लिए पुरस्कार अथवा दंड की सिफारिश करता है। उसकी सिफारिशों के आधार पर वहां की सरकार पर्यावरण को कम से कम क्षति पहुंचाने वाली परिवहन प्रणालियों को सब्सिडी देती है। आस्ट्रेलियन रेलवे के 70 फीसद खर्च की भरपाई इसी आधार पर सरकार की ओर से की जाती है। जबकि बाकी 30 फीसद खर्च का इंतजाम आंतरिक संसाधनों द्वारा किया जाता है। अधिकारी के मुताबिक भारत में भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है। क्योंकि भारतीय रेल देश में परिवहन की सबसे बड़ी प्रणाली होने के बावजूद पर्यावरण को सबसे कम नुकसान पहुंचाती है।

यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वाणिज्यिक निकाय होते हुए भी रेलवे के लिए लागत के अनुरूप किराये-भाड़े में बढ़ोतरी करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है। जबकि विस्तार, आधुनिकीकरण, संरक्षा तथा सुरक्षा के लिए इसे अपार धन की जरूरत है। यदि यहां भी आस्ट्रेलियन मॉडल अपनाया जाए तो रेलवे को हरित परिवहन प्रणाली होने के नाते सरकार से सब्सिडी हासिल हो सकती है। बदले में सरकार संयुक्त राष्ट्र के ग्रीन क्लाइमेट फंड से इसकी भरपाई कर सकती है।

गौरतलब है कि भारत में परिवहन क्षेत्र से लगभग 15 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन होता है। इसमें अकेले सड़क क्षेत्र का योगदान 85 फीसद है व विमानन क्षेत्र का 7 फीसद है। जबकि रेलवे का योगदान मात्र 10 फीसद है, वह भी इसलिए क्योंकि यहां अभी भी 40 फीसद ट्रेने डीजल पर चलती हैं। कुछ वर्षो बाद जब रेलवे का लगभग पूर्ण विद्युतीकरण हो जाएगा तब वो देश की सबसे ज्यादा हरित परिवहन प्रणाली बन जाएगी।
सीआरएमएस का कहना है कि रेलवे को कर्मचारी की भी पार्किंग सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि उसे अपने कार्यस्थल पर जगह होते हुए भी पार्किंग की तकलीफ न हो। प्रशासन को कर्मचारियों के हित में सोचना चाहिए।

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