रेलवे को लगा झटका
बजट से पहले ही वित्त मंत्रालय ने इंडियन रेलवे को झटका दिया है। रेलवे ने उसकी 8 से 10 फीसदी अधिक रकम देने की मांग को खारिज कर दिया है। वित्त मंत्रालय ने रेलवे से कहा है कि वह रेलवे को दी जाने वाली रकम में लगभग 4 फीसदी की ही बढ़ोतरी करेगा। अगर रेल मंत्रालय को अधिक पैसे की जरूरत है तो वह पीपीपी और दूसरे साधनों के जरिए रेवेन्यू का इंतजाम करे। इंडियन रेलवे के सूत्रों के मुताबिक रेल बजट को लेकर बुधवार रात को रेलमंत्री पीयूष गोयल की अगुवाई में रेलवे बोर्ड के आला अफसरों की बैठक भी हुई थी। इस बैठक में बजट से जुड़े मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। रेलवे सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने इस बार वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया था कि उसे पिछले साल के मुकाबले लगभग 8 फीसदी अधिक राशि दी जाए, लेकिन वित्त मंत्रालय की ओर से रेलवे को यह जानकारी दी गई कि इस बार रेलवे को वित्त मंत्रालय उसकी डिमांड की बजाय लगभग 4 फीसदी ही रकम बढ़ाकर दे पाएगा। हालांकि इस पर अभी फाइनल फैसला होना है लेकिन रेल मंत्रालय को यह संकेत मिल गया है कि पिछली बार से अधिकतम 4-5 फीसदी रकम ही अधिक मिलेगी। रेलवे सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय की राय थी कि रेलवे को अगर अधिक रकम की आवश्यकता है तो वह दूसरे रास्तों से यह रकम जुटा सकता है। इसमें पीपीपी, नॉन फेयर रेवेन्यू और स्टेशन डेवलपमेंट से होने वाली आमदनी शामिल है। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि पिछली बार उसे लगभग 55 हजार करोड़ रुपये मिले थे। ऐसे में अगर 4 से 5 फीसदी की बढ़ोतरी होती है तो भी उसे अधिक दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि अगले वित्तीय साल में उसे नॉन फेयर रेवेन्यू और स्टेशन डिवेलपमेंट से कुछ आमदनी होने लगेगी। ऐसे में रेलवे को कोई बड़ा आर्थिक संकट नहीं झेलना पड़ेगा। दूसरी ओर कई एक्सपर्टस का मानना है कि इससे रेलवे पर इसलिए असर होगा, क्योंकि रेलवे को नए प्रॉजेक्ट्स के लिए खुद ही पैसा जुटाना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि नॉन फेयर रेवेन्यू और स्टेशन डिवेलपमेंट से आने वाली रकम में अभी भी वक्त लगेगा। इसी तरह से पीपीपी को लेकर भी अभी कोई बड़ा जोश नहीं हे, क्योंकि अब तक रेल डिवेलपमेंट अथॉरिटी का गठन नहीं हुआ है। ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि इस बार रेलवे पुरानी योजनाओं को ही आगे बढ़ाने पर जोर देगा।