देवर के सिर सेहरा सजाने निकली थी प्रेग्नेंट भाभी, आंखों के सामने 4 ने तोड़ा दम
सेहरा पहनने की थी तैयारी अब उठेगी अर्थी…
रेल हादसे में कुछ लोगों की आंखों के सामने उनका पूरा परिवार मौत के मुंह में समा गया। इंदौर शहर के नेहरू नगर निवासी सोनी परिवार की बहू बंटी के आंखों के सामने उसकी ननद, देवर और जेठानी ने दम तोड़ दिया, जबकि सास का कुछ पता नहीं चल पाया है। बंटी अपने देवर राकेश के सिर पर सेहरा सजाने परिवार सहित बनारस जा रही थी। राकेश पिता शिवपाल सोनी की सगाई और शादी के लिए उनके परिवार के 9 लोग इस ट्रेन से बनारस के लिए निकले थे। इनमें राकेश के अलावा उसकी मां कौशल्या बाई, भाभी बंटी, बड़ी भाभी हेमंती, भतीजा मनीष, दीपक और भतीजी आरोही शामिल थे। इनमें दीपक S-9 में था, जबकि, अन्य सब लोग S-1 कोच में थे।इस हादसे में राकेश सहित परिवार के 4 लोगों की मौत हो गई। दूल्हे की मां कौशल्या बाई का अभी तक कोई पता नहीं चला है, जबकि 3 लोग घायल हुए हैं। मृतक राकेश के भतीजे दीपक ने बताया कि हादसे के बाद राकेश की भाभी बंटी घायल पड़ी थी। बंटी प्रेग्नेंट है।उनकी आंखों के सामने देवर राकेश, ननद पूजा, जेठानी हेमंती की तड़पते हुए मौत हो गई। इनको तड़पता देख बंटी भी बेहोश हो गई थी। इसी दौरान उसकी मासूम बेटी आरोही कहीं गुम हो गई, जो बाद में ट्रैक के पास मिली। दीपक के अनुसार 25 नवंबर को बनारस में राकेश की सगाई और 1 दिसंबर को शादी होना थी। बंटी देवर के सिर पर सेहरा सजाने की बात को लेकर काफी उत्साहित थी। जैसे ही परिवार के 4 लोगों की मौत की सूचना मिली वैसे ही परिवार के अन्य घरों पर रिश्तेदार इकट्ठे होने लगे थे। बाद में परिवार के लोग कानपुर के लिए रवाना हो गए।
पेशा है फिर भी इतनी लाशों को एक साथ देखकर कांप गया डॉक्टरों का दिल
हर तरफ चीख–पुकार, लाशों पर पांव रख किसी अपने के जिंदा की तलाश करने जैसा था इंदौर–पटना एक्सप्रेस हादसे के बाद सीन। हादसे के 30 घंटे बाद भी लोगों की चीख पुकार कानों में गूंजती रही। इस तमाम बातों के अलावा एक दूसरा पहलू यह है कि अस्पताल और पोस्टमॉर्टम हॉउस के आस–पास रहने वाले लोग कैसे मददगार बनें। करीब 30 घंटे में 120 शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डाक्टरों के पैनल ने बताया, पीएम करना उनका भले ही पेशा है, लेकिन इतनी लाशों को एक साथ देखकर उनका दिल भी कांप गया।8 घंटे की ड्यूटी में रोज कई पोस्टमॉर्टम करते हैं, लेकिन इस हादसे के बाद इतने पोस्टमॉर्टम किए है जो दिल और दिमाग पर बस गए हैं। इसे कभी भी चाह कर भी नहीं भुला सकते हैं।डॉक्टर राजीव और अजय सिंह ने बताया, हजारों लोगों की भीड़ बाहर केवल किसी अपने के शव के इंतजार में खड़ी थी।कोई जल्दी पीएम करने की मिन्नत कर रहा था तो कोई दबाव बनाने का प्रयास भी। उनकी मजबूरी को समझते हुए उन्हें केवल आश्वासन देकर ही शांत करा सकते थे।
12 डॉक्टरों ने किया 120 शवों का पोस्टमॉर्टम
अकबरपुर के जिला अस्पताल में 30 घंटे तक 120 शवों का पीएम किया गया है। जिसमें 6 डॉक्टरों की टीम में दो–दो ने पोस्टमॉर्टम किया।12:30 बजे से डॉक्टरों ने पोस्टमॉर्टम करना शुरू किया था। अब तक 25 मृतकों की शिनाख्त न होने की वजह से उनके शवों का पीएम 72 घंटे रोक दिया गया है।सीएचसी प्रभारी निर्मला पाण्डेय के मुताबिक, रविवार रात 45 शवो का पोस्टमॉर्टम किया गया था।
हादसे में रेलवे ने जिसे मरा बताया, वो सामने आकर बोली – जिंदा हूं
कानपुर के पास पुखरायां में हुए ट्रेन हादसे में अब तक 146 लोगों की मौत हुई है। 21 नवम्बर को रेलवे ने हादसे में मरने वाले 113 लोगों की लिस्ट जारी की। इसमें भोपाल की पूनम तिवारी को मृत बताया गया। पर पूनम बच गई थीं। पूनम ने खुद इसकी पुष्टि करते हुए भास्कर को बताया कि वो जिंदा हैं। पति एलके तिवारी के साथ पूनम पटना पहुंच भी गईं। सोमवार को भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं जिंदा हूं।पटना में भतीजे की शादी के कार्यक्रम में शामिल होने जाने के लिए वह ट्रेन के ए-1 कोच में सवार हुई थीं।हादसे के बाद दूसरी ट्रेन से पति एलके तिवारी के साथ कानपुर से पटना तक का सफर पूरा किया।पूनम ने कहा, ”ईश्वर की कृपा से ट्रेन हादसे में मुझे और मेरे पति को किसी प्रकार की चोट नहीं लगी है।”मेरे जिंदा होने के बावजूद रेलवे के अफसरों ने हादसे की रिपोर्ट में मुझे किस आधार पर मृत घोषित कर दिया, इसकी जांच होनी चाहिए।”
मां की छड़ी बनी सहारा : परिवार के 7 लोगों की जान बचाई
हादसे में मुजफ्फरपुर के एक परिवार के 7 लोगों की जान बुजुर्ग मां की छड़ी ने बचा ली।कारोबारी मनोज चौरसिया ने बताया कि परिवार के सभी सातों सदस्य बोगी बीएस-1 में फंस गए थे।मलबे में फंसे मनोज ने मां की छड़ी से खिड़की का शीशा तोड़ा और किसी तरह बाहर निकले। फिर एक–एक कर उन्होंने परिवार के बाकी लोगों को बाहर खींचा।
हादसे की जगह के पास ही सामान का ढेर लगा है। मुसाफिरों के परिजन दिनभर बेचैन निगाहों से सामान उलट–पलटकर देखते रहे।एक आस थी कि शायद यहीं से उनके लापता अपने का कोई सुराग मिल जाए। देर शाम तक सिर्फ 105 शवों की ही पहचान हो पाई है।
इंसानियत को किया शर्मसार
कानपूर रेल हादसे में मृतक को मुआवजे के लालच में भाई बताया
कानपूर रेल हादसे में जहाँ एक और कई परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। हादसे के बाद सभी अपनों को ढूढ़ने में लगे थे वही मुआवजे के लालच में एक महिला ने इंदौर–पटना एक्सप्रेस हादसे में जान गंवाने वाले एक युवक को अपना भाई बता दिया। पुलिस पोस्टमार्टम के बाद शव को उस फर्जी बहन को सौंपने ही वाली थी कि अचानक मृत युवक का पिता पहुंच गया और उसने युवक का परिचय पत्र दिखाया। इस पर पुलिस ने फर्जी बहन बनकर आई महिला को गिरफ्तार कर लिया। कानपुर देहात के माती जिला अस्पताल में हुई इस घटना में पुलिस ने सावधानी बरतते हुये फर्जी बहन बनकर आई महिला, युवक का शव लेने आये पिता तथा मृत युवक का डीएनए नमूना सुरक्षित रख लिया है। कानपुर देहात जिले के पुलिस उपाधीक्षक पवित्र मोहन त्रिपाठी ने बताया कि माती पोस्टमार्टम हाउस में शवों की शिनाख्त का काम चल रहा था कि 22 नवम्बर को एक महिला आई और उसने अपना नाम प्रीति निवासी पटना बताया। उसने एक युवक के शव को अपने भाई राहुल का शव बताया। पुलिस पोस्टमार्टम के बाद शव उस महिला को देने की तैयारी करने लगी। महिला बार–बार पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों से पूछ रही थी कि उसके भाई का मुआवजा कब मिलेगा। इस पर वहां तैनात डाक्टरों और मेडिकल स्टाफ को इस महिला पर कुछ शक हुआ। मेडिकल स्टाफ ने इस बात की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने महिला से पूछताछ की तो वह बार–बार अपना पता अलग–अलग बताने लगी। जब उस महिला से उसका परिचय पत्र मांगा गया तो वह परिचय पत्र भी नहीं दे पाई। तभी चंदौली जिले के रहने वाले दीना विश्वकर्मा अपने कुछ परिजनों के साथ पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और उन्होंने युवक के शव की पहचान अपने बेटे 30 साल के रिशू विश्वकर्मा के रूप में की। उन्होंने बताया कि उनका बेटा ट्रेन में ठेके पर सफाई का काम करता था और 20 नवम्बर को इंदौर–पटना एक्सप्रेस से आ रहा था। 20 नवम्बर को दुर्घटना की जानकारी के बाद उन्होंने अपने बेटे का इंतजार किया और बाद में वह यहां जानकारी लेने आये। पुलिस उपाधीक्षक त्रिपाठी ने बताया कि दीना विश्वकर्मा ने शव की पहचान भी की तथा उसका परिचय पत्र भी दिखाया। तब पुलिस को यकीन हो गया कि मृतक विश्वकर्मा का ही बेटा है। पुलिस ने फर्जी बहन से कड़ाई से पूछताछ की तो उसने अपना नाम आलिया परवीन बताया। उसने अपनी उम्र करीब 45 साल तथा खुद को बनारस के गोदौलिया की रहने वाली बताया। पुलिस को इस महिला ने बताया कि उसने लोगों से सुना था कि रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को लाखों रुपये का मुआवजा मिल रहा है, इसलिये उसने यह साजिश रची, ताकि उसे मुआवजा मिल सके। पुलिस को इस घटना में कुछ और लोगों के शामिल होने का अंदेशा है क्योंकि महिला आलिया मृतक रिशु की पहचान के फर्जी कागज भी मेडिकल कर्मचारियों को दिखा चुकी थी।