परेल वर्कशॉप बंद?

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अभी हाल ही में मुंबई शहर के परेल में स्थित रेलवे वर्कशॉप में कार्यरत रेलकर्मियों के बीच जनरल मैनेजर के एक पत्र से पूरे सेंट्रल रेलवे के कर्मचारियों में हडक़ंप मच गया है। बताया जाता है कि 30 जून को पूरे मध्य रेल में खासतौर पर मुंबई में परेल वर्कशॉप बंद करने के विरोध में अनेकों धरने-प्रदर्शन हुए जिसमें हजारों रेलकर्मियों ने भाग लिया। यह बवाल हुआ जनरल मैनेजर के पत्र से जिसे सीआरएमएस के बैनरों में दर्शाया गया है, उस पत्र ने रेलकर्मियों में खलबली मचा दी। रेलवे की मान्यता प्राप्त यूनियन सीआरएमएस के पदाधिकारियों का कहना है कि इस निर्णय से ना तो कर्मचारियों का फायदा है और ना ही प्रशासन का, रेल का या देश का भी फायदा नहीं है, फिर इसमें किसका और क्या फायदा है यह सोच का विषय है और इसकी तह में जाना होगा।

138 साल पुराने परेल वर्कशॉप मे ंलगभग 2500 कर्मचारी कार्यरत हैं और यहां ऐसे-ऐसे कार्यों को अंजाम दिया जाता है जो भारतीय रेल में कहीं नहीं होते। जहां १४० टन क्रेन, नेरोगेज लोकोमोटिव, MLR तथा LHB की मरम्मत रखरखाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य होते हैं और जिन्हें पूरी तरह से विकसित करके एक बड़े और महत्वपूर्ण वर्कशॉप की रचना की जा सकती है। इस परेल वर्कशॉप का इतिहास भी गौरशाली रहा है एवं भारतीय रेल के लिए इसका भविष्य भी बहुत सुंदर हो सकता है.

सीआरएमएस ने परेल वर्कशॉप बंद करने की घोषणा की कड़ी निंदा की। सीआरएमएस ने कहा कि हमने परेल वर्कशॉप और यहां के कर्मचारियों के लिए अनेकों कार्य किए हैं और अब हम वर्कशॉप भी बचाने का काम करेंगे। परेल वर्कशॉप को अपनी मां समझने वाले वर्कशॉप कर्मचारी बहुत ही गुस्से में थे और प्रशासन से बेहद नाराज हैं, उन्होंने कहा कि प्रशासन को कम से कम मान्यता प्राप्त यूनियनों से बात करनी चाहिए थी क्योंकि इस तरह एकतरफा फैसला लेना उचित नहीं है और यह च्औद्योगिक शांतीज् जैसे शब्दों की तौहीन होगी तथा एक गलत तरीका भी।
सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ ने अपने 7 सवाल प्रशासन के सामने रखे हैं।

1. जब सीएसएमटी में टर्मिनस है, वाडीबंदर में जगह है, दादर में टर्मिनस है, कुर्ला में टर्मिनस है, ट्रॉम्बे में जगह है, कल्याण जक्शन है तो फिर परेल में ऐसी कौन सी आवश्यकता आ पड़ी कि करोड़ों रुपए खर्च करके एक और टर्मिनस बनाना पड़ रहा है? हमारा प्रशासन को सुझाव है कि इस पैसे को अगर मुंबई सिटी से बाहर की तरफ खर्च किया जाए और एक व्यवस्थित टर्मिनस बनाया जाए तो ज्यादा उपयोगी होगा।

2. परेल वर्कशॉप में १४० टन क्रेन, नेरोगेज लोकोमोटिव, MLR कोचेस और LHB कोचेस की मरम्मत एवं रखरखाव जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य होते हैं जिन्हें और विकसित किया जा सकता है जो शायद संपूर्ण भारतीय रेलवे में मिसाल हो सकती है। तो फिर इन सब चीजों को ताक पर रखकर परेल वर्कशॉप की जगह टर्मिनस लाने की उत्सुकता क्यों? रेलवे के फायदे को ताक पर क्यों रखा जा रहा है।

3. परेल आज एक मंहगी जगह में गिना जाता है, इसे मुंबई का केंद्र माना जाता है, यहां कई कार्पोरेट कंपनियां अपना ऑफिस खोल चुकी हैं तो कहीं प्रशासन की उत्सुकता टर्मिनस के नाम पर वाशी या हबीबगंज जैसा स्टेशन बनाकर इसे व्यापार का केंद्र तो नहीं बनाना चाह रहीं?

4. जिस तरह जमीन के टुकड़े को लेकर करके कुर्ला में टर्मिनस बनाया गया लेकिन उससे निकलने और उस तक पहुंचने के रास्तों पर ध्यान नहीं दिया गया। क्या उसी तरह परेल टर्मिनस की हालत नहीं हो जाएगी?

5. इतने भीड़-भाड़ वाले इलाके में जहां पांच अस्पताल पहले से ही हैं और आए दिन हजारों मरीज दूर-दूर से आते हैं, उस जगह को और अधिक भीड़-भाड़ वाला बना करके और ट्रैफिक को जाम करके मरीजों के लिए अत्यधिक परेशानी खड़ी करना क्या इंसानियत होगी? क्या इस बारे में किसी का ध्यान गया?

6. आज भी लोअर परेल वर्कशॉप में वैगन भेजने के लिए उसे पुणे से अहमदाबाद होते हुए लाया जाता है अथवा इसमें 31 घंटे तक लग जाते हैं। तो क्या एक और परेल टर्मिनस, सुविधा कम और दुविधा ज्यादा पैदा नहीं करेगा?

7. पहले से ही भीड़-भाड़ वाली जगह पर, पहले से ही वायु प्रदूषण से दूषित जगह पर, तथा ऐसी जगह जहां हजारों मरीज भर्ती हों, पांच अस्पाल हों और हजारों मरीजों का आवागमन हो तथा सेंट्रल से वेस्र्टन और वेस्र्टन से सेंट्रल भारी भीड़ का आवागमन हो तथा जहां इसी वजह से एल्फिंटन स्टेशन पर एक बड़ा हादसा हुआ हो जहां कई लोगों ने अपनी जान गवांई हो वहां परेल टर्मिनस को लाना किस समझदार इंसान की समझदारी हो सकती है?
इस खबर के छपने तक हमें पता चला की परेल वर्कशॉप में रेल कर्मचारियों का हल्ला बोल प्रदर्शन जारी है तथा जिस तरह से यह मामला तूल पकड़ रहा है आगे भी रेल कर्मचारियों के किसी बड़े आंदोलन को नकारा नहीं जा सकता। पूरे मध्य रेल की नजर इस प्रकरण पर हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है? अगले अंक में हम प्रशासन का इसमें क्या कहना है तथा जनता की राय क्या है, आपके सामने रखेंगे। एक एक-एक पहलू बारीकी से हम आपके सामने लाएंगे अगले अंक में, अगले हफ्ते।

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