कब रुकेंगे आतंकी हमले…

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संपादकीय

डॉ. आर.पी. भटनागर

10 जुलाई को अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमला हुआ। सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 19 अन्य घायल हो गए। बस ड्राइवर की सूझबूझ से कई यात्रियों की जान बच गई। इस कायराना और क्रूरता भरे कुकृत्य की घोर निंदा करते हुए हम मारे गए तीर्थयात्रियों की आत्मा की शांति हेतु परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं एवं पीडि़त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।
इस वर्ष करीब 1.2 लाख श्रद्धालुओं ने इस पवित्र यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। 45 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते हुए भी कहां चूक हुई जबकि सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरे को लेकर अगाह किया था। हमला किसने किया या किस पर किया इस पर फालतू की बहस करना निरर्थक है। कोई भी मजहब इस तरह के जघन्य अपराध की इजाजत नहीं देता। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए समाज में जहर फैलाकर लोगों को उकासाने का घृणित कार्य करते हैं। सवाल यह उठता है कि ये आतंकी कब तक भारत मां के दामन को बेकसूर लोगों के खून से रंगते रहेंगे। कब तक सरकार मारे गए लोगों को श्रद्धांजली और पीडि़त परिवारों को मुआवजे का ऐलान कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती रहेगी। इंसान की जान की कीमत पैसों से नहीं आंकी जा सकती। मौत का दर्द क्या होता है यह उस विधवा से पूछिए जिसकी मांग का सिंदूर उजड़ गया हो, उन बच्चों से पूछिए जिनकी उंगली थाम कर चलनेवालों का साया उनके सिर से उठ गया हो, उन मां-बाप से पूछिए जिनके चिराग बुझ गए हो। शर्म आनी चाहिए उन देश के गद्दारों को जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं। सरकार की नींद भी तब खुलती है जब कोई घटना घटित हो जाती है। मुंबई में सन 2008 में आतंकी हमला हुआ था। सैकड़ों निरपराध लोगों की जान गई थी। उसके बाद तमाम तरह के सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। आज वे सब इंतजाम कहीं नजर नहीं आते। सुरक्षा एजेंसियां अपना काम करतीं हैं। आतंकियों की घुसपैठ व संभावित हमलों की जानकारी देती है फिर भी सुरक्षा में चूक क्यों हो जाती है। यह एक बहुत बड़ा सवाल है। अब समय आ गया है जब सरकार को कठोर निर्णय लेकर आतंकवाद की जड़ को ही समाप्त करना चाहिए। जो धरा आतंकवादियों को पनाह देती है उसे नेस्तनाबूत करना ही पड़ेगा। देश और देशवासियों की सुरक्षा से बड़ा कोई और कारण हो ही नहीं सकता। देश के प्रत्येक नागरिक का भी यह कर्तव्य है कि वह जागरुकता का परिचय दे। हर आशंकित व्यक्ति और वस्तु की जानकारी तुरंत पुलिस विभाग को दें।

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