लखनऊ, रेलमंत्री सुरेश प्रभु रेलवे को हाईटेक बनाने और ट्रेन की स्पीड बढ़ाने के चाहे कितने दावे कर लें पर जमीनी हकीक़त कुछ और ही कह रही है। आज भी मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग लोगों की मौत का कारण बन रही हैं। मानव रहित रेलवे क्रासिंग को लेकर उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में कई तरह के जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय लेवल क्रॉसिंग जागरुकता दिवस दो जून के उपलक्ष्य में भारतीय रेल 29 मई से दो जून तक केवल क्रॉसिंग जागरुकता सप्ताह मना रहा है। इसके तहत लखनऊ मण्डल का संरक्षा संगठन नुक्कड़ नाटकों, लघु नाटिकाओं, संरक्षा संगोष्ठियों और रैली के आयोजन के माध्यम से आम लोगों को लेवल क्रॉसिंग को पार करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के विषय में जागरूक कर रहा है।
उत्तर रेलवे के मण्डल रेल प्रबंधक सतीश कुमार ने बताया, लखनऊ मण्डल में कुल 773 रेलवे फाटक हैं, जिनमें 627 मानव युक्त एवं 146 मानव रहित फाटक हैं।
मानव रहित फाटकों को बंद करके अथवा मानव युक्त कर इन्हें वर्ष 2019 तक समाप्त करना रेलवे की प्राथमिकताओं में है।
रेल बजट में कही थी अलार्म बजाने की बात
रेल बजट 2015-16 में केन्द्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कई घोषणाएं की थीं, जिनमें एक ये घोषणा भी की थी कि जिन रेलवे क्रॉसिंग पर गार्ड नहीं हैं वहां पर अलार्म बजाया जाएगा ताकि लोग सावधान हो जाएं, लेकिन सभी जगह पर अभी तक यह नियम लागू नहीं हो पाया है।
146 फाटकों पर नहीं कर्मचारी
उत्तर रेलवे के लखनऊ मण्डल में 773 रेलवे फाटकों में से अभी भी 146 फाटक ऐसे हैं, जिन पर कोई भी कर्मचारी तैनात नहीं है। मानवरहित इन रेल फाटकों पर अक्सर दुर्घटनाओं की सम्भावना बनी रहती है। रेलवे का दावा है कि ऐसे फाटकों को लेकर लगातार जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं। साथ ही कोशिश है कि इन सभी फाटकों पर कर्मचारी तैनात किए जा सकें। अंतर्देशीय परिवहन के एक आंकड़े के मुताबिक, प्रतिदिन ट्रेन ऐ करीब ढाई से पौने तीन करोड़ लोग सफऱ करते हैं। वहीं 90 लाख टन से अधिक माल की ढुलाई होती है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो देशभर में 30348 क्रॉसिंग है।