फर्जी ट्वीट से भी परेशान है टीम
ट्विटर के जरिए रेल यात्रियों की मदद की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। चाहे चलती ट्रेन में बच्चे को दूध पहुंचाने का मामला हो या बीमार बुजुर्ग के लिए इलाज का इंतजाम करना। एक ट्वीट पर मदद पहुंच जाती है। कैसे हो रहा है ये? एक अखबार में छपी खबर के अनुसार दिल्ली में बने रेलवे के ट्विटर कंट्रोल रूम में इन्हीं सवालों के जवाब तलाशे गए।
कैसे हो रहा है ये सब कुछ?
– रेल मंत्रालय की चौथी मंजिल पर कमरा नंबर-454। यह भारतीय रेलवे का ट्विटर कंट्रोल रूम हैै।
– कुल जमा तीन लोगों की टीम है, जो अपने-अपने कम्प्यूटर पर सक्रिय हैं। ये वही टीम है जो इन दिनों रेलवे की इमेज बदल रही है।
– किसी भी रेल यात्री का ट्वीट आने के बाद ये टीम एक्टिव होती है और पांच मिनट के अंदर उस यात्री की प्रॉब्लम दूर करवाती है।
– इस रूम में एक नियम है-एक पल को भी कम्प्यूटर ऑफ नहीं होना चाहिए, क्योंकि न जाने कब किस पैसेंजर की शिकायत आ जाए।
– इस कंट्रोल रूम में बैठकर जब टीम और उसकी काम करने के तरीके पर बात कर रहा था, तभी अचानक स्क्रीन पर एक मैसेज नजर आया।
– ट्वीट पर किसी ने अपनी परेशानी लिखी थी। साथ में पीएनआर नंबर और ट्रेन नंबर था।
– कुछ ही सेकंड में कम्प्यूटर पर बैठे व्यक्ति ने एक साथ कई लोगों को इस मैसेज से जोड़ दिया। साथ ही कमांडिंग बॉस को भी इन्फॉर्मेशन भेज दी।
– पांच मिनट बाद फिर स्क्रीन पर मैसेज आया कि उस पैसेंजर को मदद की जानकारी दे दी गई है।
क्या कहते हैं अफसर?
– कंट्रोल रूम की निगरानी का काम देख रहे ईडी पीजी अनंत स्वरूप के मुताबिक, एक दिन में करीब 5-6 हजार ट्वीट आते हैं। इनमें से 30 फीसदी रि-ट्वीट होते हैं। जबकि 20-30 फीसदी कमेंट आते हैं।
– टीम की निगरानी खुद रेल मंत्री करते हैं। रोज रात में उस दिन की रिपोर्ट लेते हैं। साथ ही, मंत्रालय में आने के बाद ट्विटर पर सुबह आए गंभीर मामलों की जानकारी और उस पर लिए गए एक्शन पर चर्चा करते हैं।
– प्रभु खुद अपने ट्विटर हैंडल सुरेशपीप्रभु और रेलवे के ट्विटर हैंडल रेलमिनइंडिया पर नजर रखते हैं।
– प्रभु के ट्विटर हैंडल को चार लाख और रेलवे के हैंडल को छह लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
– रेलवे के एडीजी पीआर अनिल सक्सेना के मुताबिक, इस टीम को निजी कंपनियों के साथ-साथ पीएमओ और विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया विंग से ट्रेनिंग दिलाई गई है।
– कंट्रोल रूम तीन शिफ्ट में काम करता है। सुबह 6 से दोपहर 2 बजे और 2 से रात 10 बजे तक।
– रात 10 से सुबह 6 बजे तक का जिम्मा ईडी पीजी, जन शिकायत, ट्विटर सेल प्रमुख और रेल मंत्री के स्टॉफ के पास रहता है।
– सभी का ट्विटर अकाउंट रातभर ऑन रहता है।
– रेलवे के 17 ज़ोनल प्रबंधक और 69 मंडल प्रबंधक भी ऑनलाइन रहते हैं। इन्हें पैसेंजर की तुरंत मदद के ऑर्डर दिए गए हैं।
कौन-कौन है ट्विटर टीम में? कैसे करते हैं डील?
– ट्विटर निगरानी सेल में एक इम्प्लॉई आरपीएफ से, एक कैरेज वैगन और एक प्रोफेशनल डिपार्टमेंट से लिया गया है।
– अहम शिकायतों को एक रजिस्टर पर भी लिखा जाता है।
– कंट्रोल रूम इंचार्ज के मुताबिक, सामान्य शिकायत पर हम पैसेंजर को यह एडवाइस देते हैं कि वे सुरक्षा वाली शिकायत को रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 182 और अन्य शिकायत को 138 पर करें। इसकी वजह यह है कि ये नंबर सीधे जीपीएस से जुड़े हैं।
– जब कोई शिकायत करता है, तो कंट्रोल रूम को कॉल देने से पहले वह ट्रेन की लोकेशन पता कर लेता है और उसी के लिहाज से अगले आने वाले स्टेशन की जानकारी भी देता है। इससे लोगों को तुरंत मदद मिलती है।
– जबकि ऐसी शिकायत पर रेलवे बोर्ड से कॉल करने पर लोकेशन दिल्ली आएगी और मदद देने में देरी हो सकती है।
– वहीं, अन्य शिकायत जैसे किसी के साथ छेड़छाड़ या किसी बीमार को तुरंत मदद की जरूरत है या कोई ट्रेन बीच में ही रुकवानी है, तो इन पर पर तुरंत एक्शन लिया जाता है।
– संबंधित रेलवे के जीएम, डीआरएम और रेलवे स्टेशन मास्टर के साथ ही रेल में चल रहे कंडक्टर और रेलवे सिक्युरिटी टीम को सीधे अलर्ट किया जाता है। उनसे हर पल की जानकारी ली जाती है।
ये है प्रभु की तीन लोगों की टीम?
– ट्विटर कंट्रोल रूम में निगरानी के लिए प्रभु के साथ तीन और लोगों की टीम है।
– ये हैं एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जन शिकायत अनंत स्वरूप, स्पेशल अफसर हनीस यादव और डायरेक्टर इंफो-पब्लिसिटी वेद प्रकाश।
– 1992 के आईआरपीएस अफसर अनंत स्वरूप का काम निगरानी का है और रात के समय जब सेल कार्य नहीं करता है, तो उस समय ट्विटर पर निगाह रखना भी इनके जिम्मे है।
– ओएसडी हनीस यादव 2003 में आईआरएसएमई सेवा में सिलेक्ट हुए। वे मेकैनिकल इंजीनियर हैं।
– यादव ने रेलवे के ही इंस्टीट्यूट से यह डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने रेलवे से इस्तीफा दिया और आईआईएम से एमबीए किया। वह पढ़ाई के लिए पेरिस और स्विट्जरलैंड भी गए।
– इसके बाद यादव ने ऑस्ट्रेलिया में कंसल्टेंसी फर्म मैकेंजी ज्वाइन की। जब प्रभु रेल मंत्री बने तो उनके पिछले और मौजूदा रिकॉर्ड, साथ ही सोशल मीडिया पर पकड़ देखते हुए उन्हें बतौर ओएसडी रेलवे में लाए।
– 1998 के आईआरटीएस अफसर वेद प्रकाश सोशल मीडिया के जानकार हैं और रेलवे के सोशल मीडिया सेल के प्रमुख हैं। रेलवे के ट्विटर सेल के चीफ भी वही हैं। किसी भी शिकायत, सुझाव या कमेंट पर एक्शन की जिम्मेदारी प्रकाश के पास है।