मजदूर की कलम से… सी एंड एम स्टाफ के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?

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(धनंजय प्रसाद सीएसएस, माटुंगा)
          रेलवे एक छोटा परंतु संरक्षा की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण विभाग है रसायन एवं धातु (सी एंड एस) विभाग कोचेस से लेकर लोको तक सभी रोलिंग स्टॉक कम्पोनेंट का परिक्षण विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। इन परीक्षणों में अल्टासोनिक, ड्राय पेनीट्रेंट, चुंबकीय, एक्स-रे, कैमिकल, फिजीकल जैसे महत्वपूर्ण परीक्षण शामिल हैं। यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से इस विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। इस विभाग में एंट्री ग्रेड-पे रु. 4200/- (लेवल-6) है तथा शैक्षणिक योग्यता बैचलर डिग्री / एम.एससी है। यह बहुत बड़ी बिडंबना है कि जहां एक ओर अन्य विभागों में बी.ई. डिग्री धारक ग्रेड-पे रु. 4600/- (लेवल-7) में लिए जाते हैं वहीं सी एंड एम विभाग में एंट्री ग्रेड-पे रु. 4200/- (लेवल-6) है। यह विभाग मिसलेनियस कैडर के अंतर्गत आता है और एलडीसीई के जरिए ग्रुप-बी में जाने के अवसर भी प्रदत्त नहीं है। वर्कशॉप में काम करने वाला सी एंड एम स्टाफ स्वयं अपने हाथों से कार्य करता है परंतु उसे इंसेंटिव बोनस नहीं मिलता जबकि आऊटटर्न में उनकी अहम भूमिका रहती है। यहां कार्यरत स्टाफ ने अपने स्वयं के खर्च से कोर्ट तक के दरवाजे खटखटाए परंतु कोर्ट ने वेतन आयोग के पाले में गेंद डाल दी। सातवें केंद्रीय वेतन ने कुछ रहम करके एवं इस विभाग की महत्ता को समझते हुए कुछ न्याय किया। इस विभाग को रु. 4600/- (लेवल-7) तथा रु. 4800/- (लेवल-8) देने की सिफारिश की। सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिशों को ही लागू किया परंतु इस विभाग के लिए दी गई सिफारिशों को अभी तक लागू किया। संरक्षा से जुड़े इस विभाग के साथ यह घोर अन्याय नहीं तो और क्या है। इन उच्च शिक्षित कर्मचारियों को न्याय मिलना ही चाहिए।

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