भारत में अपने रेल डिब्बों का ट्रायल कराने वाली स्पेन की कंपनी टेल्गो ट्रेन भारतीय रेलवे के सुस्त रवैये और फैसले लेने में देरी से परेशान है. आठ महीने से टेल्गो ट्रेन पर फैसले की फाइल अटकी हुई है. टेल्गो के भारत व एशिया प्रशांत के निदेशक सुब्रत नाथ ने न्यूज 18.कॉम को बताया कि उन्हें अभी भी भारतीय रेलवे से हामी का इंतजार है.
बता दें कि साल 2016 में टेल्गो का ट्रायल किया गया था. इसे मथुरा-पलवल, दिल्ली-मुंबई रूट पर भी चलाया गया था. ट्रायल के दौरान इस ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल की थी. यह भारत में किसी भी ट्रेन की अधिकतम रफ्तार है.
उन्होंने कहा, कई सफल ट्रायल रन और भारतीय रेलवे से टेल्गो ट्रेन की तकनीक की प्रशंसा सुनने के बावजूद हम अक्टूबर 2016 से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं. नाथ ने कहा, हमने अक्टूबर 2016 में प्रस्ताव दिया था. कई प्रकियाओं से गुजरने के बाद इस मामले में एक कमिटी बनाई गई. लेकिन वे अक्टूबर 2016 से इसे देख ही रहे हैं. आखिरी बार फरवरी में हमारी उनसे मुलाकात हुई थी और हमें कहा गया कि मार्च 2017 तक हमें लीज समझौते के बारे में बता दिया जाएगा.
टेल्गो के बारे में फैसले को लेकर देरी के बारे में एक बड़ा कारण किसी और कंपनी से इस तरह का प्रस्ताव ना आना है.
इस बारे में नाथ ने बताया, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इस बात की चिंता है कि इस तरह का प्रॉडक्ट देने वाली टेल्गो इकलौती कंपनी है और टेंडर प्रकिया में उसके सामने कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. इसके जवाब में हमने कहा कि हम खुले टेंडर में शामिल होने और सरकारी प्रकिया को मानने को तैयार हैं. लेकिन मई जा चुकी है और अभी तक बात आगे नहीं बढ़ी है.’
उनका कहना है कि सरकार के लीज समझौते पर हामी भरने के एक साल के अंदर टेल्गो ट्रेन आ जाएगी. साथ ही दिसंबर 2018 से उसका परिचालन शुरू कर दिया जाएगा. लेकिन फैसले में देरी से यह मामला अब साल 2019 तक बढ़ता दिखाई दे रहा है. रेलवे टेल्गो ट्रेन मुंबई-अहमदाबाद, दिल्ली-लखनऊ, बेंगलुरु-चेन्नई रूट्स पर चलाने का इच्छुक है. शुरुआत में उसे चार टेल्गो ट्रेन चाहिए.