वाराणसी, अगर आप वाराणसी आ रहे हैं तो थोड़ा संभलकर। शहर के सबसे प्रमुख कैंट रेलवे स्टेशन पर पानी पीने से बचें, अन्यथा आप बीमार पड़ सकते हैं। यह हम नहीं बलिक वे आकड़ें बता रहे हैं, जो रेलवे के पास लैब से आए हैं। पानी के 122 नमूनों में से 69 जांच में फेल हो गए हैं। ऐसे में पानी का स्तर आप खुद समझ सकते हैं। दरअसल, पूर्वांचल को जोडऩे वाले वाराणसी कैंट स्टेशन पर प्रतिदिन सैकड़ों गाडिय़ां दौड़ती हैं। इस कारण यहां हजारों की संख्या में प्रतिदिन यात्री आते हैं। इन यात्रियों के स्वास्थ्य के प्रति रेलवे कोताही बरत रहा है, हालत यह है कि रेलवे के पास निर्धारित संख्या में पंपों पर क्लोरीनेटर ही नहीं है। ऐसे में जो पानी वाराणसी कैंट के 9 प्लेटफार्म पर नलों से निकलता है, वह मानक पर बिल्कुल खरा नहीं है।
प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने पर भी यह स्थिति
आईआरसीटीसी के सर्वे के अनुसार वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन देश में सफाई के मामले में 14वें पायदान पर है, प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के कारण यहां केंद्रीय मंत्रियों का अकसर जमावड़ा रहता है। तमाम तरह की परियोजनाएं चल रही हैं, लेकिन फिर भी रेलवे गंभीर नहीं दिख रहा है। मजे की बात यह कि रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा भी यहीं से हैं। फिर यह हालत। दरअसल, रेलवे स्टेशन पर गंदे पानी की शिकायत के बाद महकमे ने पानी की सैम्पलिंग कराई थी, स्टेशन पर विभिन्न हिस्सों से 122 नमून एकत्र किए गए थे। इनको जांच के लिए लखनऊ स्थित लैब भेजा गया था, जहां से अब रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट में चौकाने वाले नतीजे मिले हैं। 122 सैंपल में से 69 फेल पाए गए हैं। य़ानी 50 प्रतिशत से अधिक आंकड़ा खराब पानी का है। इन नमूनों में क्लोरीन की मात्रा जीरो है। सिर्फ 53 नमूने ही मानक पर खरे उतरे हैं।
दरअसल, रेलवे स्टेशन पर पानी सप्लाई के लिए 10 पंप लगे हुए हैं पंप से पानी को क्लोरीनेटर से होकर ही नलों तक जाना चाहिए। लेकिन वर्तमान में सिर्फ चार क्लोरीनेटर ही काम कर रहे हैं। इस संबंध में एईएन से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि रेलवे को पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है। क्लोरिनेटर के लिए पत्र लिख दिया गया है।