एक भारत श्रेष्ठ भारत (कविता)

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अनिल महेंद्र, उपाध्यक्ष, सीआरएमएस
भिन्न-भिन्न रंगों से मिलकर इंद्रधनुष बन जाता है,
भांति-भांति के पुष्प पिरोकर पुष्पहार बन जाता है।
हिंदू-मुस्लिम, सिख, इसाई मिलकर भारत बन जाता है,
एक भारत बन जाता है, श्रेष्ठ भारत बन जाता है।
मेरा भारत सबसे प्यारा स्वर्णिम इतिहास हमारा है,
संस्कृति-सभ्यता सबसे सुंदर, भाईचारा निराला है।
मातृभूमि पर जान न्यौछावर, तिरंगा हमको प्यारा है,
अंतरिक्ष तक है पहुंच हमारी, भारत श्रेष्ठ हमारा है।
आंख उठाकर कोई देखे, कभी हमें बर्दाश्त नहीं,
प्रगति-पथ पर चलते जाते, रुकना हमें मंजूर नहीं।
स्वच्छ-भारत सपना है अपना, गंदगी बर्दाश्त नहीं,
एक भारत और श्रेष्ठ भारत से कुछ भी कम मंजूर नहीं।
जातिवाद और प्रांतवाद मिलकर दूर भगाएंगे,
भारत के कोने-कोने में भाईचारा फैलाएंगे।
नफरत को न पनपने देंगे, प्यार के दीप जलाएंगे,
एक भारत का निर्माण करेंगे, श्रेष्ठ भारत बनाएंगे।
धर्म के नाम पर जहर उगलने वालों को सबक सिखाएंगे,
पत्थर नहीं फूलों की वर्षा सैनिकों का मान बढ़ाएंगे।
राह के हर रोड़े को सफलता की सीढ़ी बनाएंगे,
एक भारत का निर्माण करेंगे, श्रेष्ठ भारत बनाएंगे।
एकता की पहचान रेलवे, गतिमान इसे बनाएंगे,
बुलेट ट्रेन का सपना हमारा, साकार कर दिखाएंगे।
संरक्षा से न कोई समझौता, प्रगति करते जाएंगे,
एकता मजबूत करेंगे, भारत सर्वश्रेष्ठ बनाएंगे।
हर मन कि हम बात सुनेंगे, योग हम अपनाएंगे,
सभी धर्मों का सम्मान करेंगे, सबको हम अपनाएंगे।
जन-जन को शिक्षित हम करेंगे, निरक्षरता दूर भगाएंगे,
एकता मजबूत करेंगे, भारत सर्वश्रेष्ठ बनाएंगे।
भाईचारा मजबूत करेंगे आतंकवाद मिटा देंगे,
सबका साथ, सबका विकास करेंगे, भेदभाव न होने देंगे।
तीन शब्दों का प्रतिकार करेंगे, अबला को न्याय दिलाएंगे,
एकता मजबूत करेंगे भारत सर्वश्रेष्ठ बनाएंगे।

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