आईएसआई के इशारे पर नेपाल और बिहार बॉर्डर के माओवादी देश में दहशत फैलाने की साजिश रच रहे हैं। कानपुर रेल हादसे में आईएसआई का नाम आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। पकड़े गए आरोपियों से अब तक की पूछताछ से पता चला है कि आईएसआई ने अब अपने काम का तरीका बदल दिया है।
अब तक वे स्लीपर सेल का इस्तेमाल करते थे लेकिन अब वे कम खर्च में अधिक तबाही मचाने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके लिए वे माओवादियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि पकड़े गए आरोपियों के अलग–अलग बयानों से जांच एजेंसियां उलझ गई हैं। फोरेंसिक जांच में कुकर से ब्लास्ट का मोती पासवान का बयान गलत पाया गया है।
कानपुर के पुखरायां में हुए रेल हादसे में आईएसआई का नाम आने के बाद से जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। इस मामले में पकड़े गए मोती पासवान समेत तीन लोगों से अलग–अलग एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। एटीएस की पूछताछ से पता चला है कि ये लोग माओवादी हैं और इनका खर्च आईएसआई उठा रही है। यही वजह है कि माओवादी उनका काम कर रहे हैं। आईएसआई बिहार, नेपाल के उन लोगों के संपर्क है जो या तो माओवादी हैं या फिर अपराध से उनका जुड़ाव है।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद रची आईएसआई द्वारा यह साजिश
सूत्रों के मुताबिक आईएसआई ने आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए देश को चार जोन में बांटा है। यूपी–बिहार से लेकर दिल्ली तक के नेटवर्क का संचालन नेपाल स्थित आईएसआई के स्लीपर सेल हब से हो रहा है वहीं बिहार के कुछ इलाकों सहित बंगाल तक को बंगलादेश में बैठे आका डील कर रहे हैं।
यूपी व बिहार में मौजूद स्लीपर सेल के सदस्य नेपाल में बैठे आकाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि एटीएस सहित सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें इन दिनों नेपाल बार्डर से सटे होने से गोरखपुर व आसपास के जिलों पर टिकी हुई हैं। जल्द ही यहां ताबड़तोड़ कार्रवाई हो सकती है।
खुफिया सूत्रों की मानें तो सर्जिकल स्ट्राइक से बौखलाए पाकिस्तान व आईएसआई ने इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने की योजना बनाई है, लेकिन देशभर में संदिग्धों की गिरफ्तारी और सुरक्षा एजेंसी के सतर्क होने के बाद अब उसने भारतीय रेल अपना बनाना शुरू कर दिया है क्योंकि ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर अधिक से अधिक लोगों की जानमाल को नुकसान होगा।