संपादकीय
एक बार फिर लाल आतंक के साए में सीआरपीएफ के जांबाज जवान शहीद हो गए। छतीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के घात लगाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ के पच्चीस जवानों को शहादत देनी पड़ी जबकि सात जवान घायल हो गए। सर्वप्रथम हम लाल आतंक के इस घृणित कृत्य की घोर निंदा करते है तथा शहीद जवानों के प्रति अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवारजनों के साथ गहरी संवेदना व्यक्त करते है।
पिछले एक दशक से देश में नक्सली हमलो में तेजी आने का सिलसिला जारी है। हजारों देशवासियों के प्राण बचाने वाले इन अमर शहीदों की कुर्बानी का यह सिलसिला कब थमेगा? आज हर भारतवासी इस सवाल को लेकर रोषित है। सरकार ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करके अपनी पीठ थपथपाई है परन्तु लाल सलाम करने वाले इन लाल अतातायीयों के अड्डों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने से सरकार क्यों कतरा रही हैं? यह बात समझ के परे है। देश की आतंरिक सुरक्षा में सेंध लगाने वालों देशद्रोहियों को सबक देना ही चाहिए। भारत हमारी मातृभूमि है। अपनी मातृभूमि से सभी देशवासियों को प्यार होना चाहिए। इसी मातृभूमि को विदेशियों के चंगुल से आजाद कराने में अनेकों महान शहीदों ने अपने प्राणों की बाजी तक लगा दी। हर भारतवासी का यह परम कर्तव्य होना चाहिए कि वह अपनी मातृभूमि को नमन करे। अपने ही भाई-बहनों की खून की नदियाँ बहाने वालों का बहिस्कार कर प्यार की गंगा बहाएं। लाल सलाम, लाल झण्डा अपनाकर देशभक्ति को कलंकित करने वाले न कभी भारत और भारतवासियों के सगे थे न कभी हो पाएंगे। जिन युवाओं को जबरन या लुभावने वादे करके लाल आतंकवादियों द्वारा गुमराह किया जा रहा है उन्हें भी हकीकत से अगाह कराने की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ प्रत्येक देशवासी की होनी चाहिए। किसी ने ठीक ही कहा है जिसे अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं उसे वहा रहने का अधिकार नहीं। आइए देशभक्ति की भावना का संचार करें एवं मानवता की सेवा में जुट जाएं।