रतलाम, रेलवे कर्मचारियों के इलाज के लिए बना रेलवे अस्पताल अब खुद ही बीमार होता नजर आ रहा है। यहां 500 से कुछ अधिक मरीज ओपीडी में आए, लेकिन उनको देखने के लिए मात्र दो चिकित्सक थे। इतना ही नहीं, विषय विशेषज्ञ मरीजों को तो सुबह से दोपहर तक चिकित्सकों का इंतजार करने के बाद वापस लौटना पड़ा क्योंकि सुबह 9 बजे डॉक्टर साहब राउंड पर गए तो दोपहर में मरीज को देखने का समय समाप्त होने तक लौटे ही नहीं। अंत में बीमार वापस लौट गए। इसमे सबसे बुरी बात ये है कि रेलवे कर्मचारियों के हितों का दंभ भरने वाले प्रमुख रेल संगठन सबकुछ जानते हुए भी चुप है।
रेलवे अस्पताल में अगर कोई चिकित्सक उपलब्ध नहीं है तो जानकारी देने के लिए अलग से काउंटर ही नहीं है। किसी से जानकारी के लिए सवाल करो तो जवाब मिलता है खुद देख लें। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी तो वृद्ध मरीजों को आती है। गुरुवार को तो महिला वार्ड से लेकर अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों से इलाज कराने आए मरीज तो दिनभर चिकित्सकों का इंतजार कर निराश होरक वापस चले गए।
अस्पताल में मरीजों से चिकित्सकों के मिलने का समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक लिखकर पर्ची तो लगा दी, लेकिन इस समय के पहले से लेकर बाद तक चिकित्सक ही उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। इतना ही नहीं, शाम को किसी मरीज को कोई समस्या हो तो मरीज देखने के लिए समय क्या रहेगा, इसका कोई उल्लेख नहीं है। इस मामले में जब भी जवाबदेह से बात की जाए तो रटारटाया जवाब देते हैं कि चिकित्सकों की कमी है। हालांकि कमी के नाम पर मरीज क्यों नहीं देखे जा रहे, इसका जवाब नहीं मिलता। एक मरीज ने बताया कि वो तीन दिन से आ रहा है। चिकित्सक अव्वल तो मिलते नहीं है, मिल जाए तो वार्ड के बजाए केबिन में आने को कहकर आगे चले जाते हैं। जब केबिन के बाहर इंतजार करो तो सुबह से शाम हो जाती है लेकिन चिकित्सक उपलब्ध नहीं हो पाते। बाद में जब घर जाओ तो सहज होकर चिकित्सक उपलब्ध हो जाते हैं। रेलवे अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है। फिर भी संविदा पर रखकर मरीजों का बेहतर इलाज करवाया जा रहा है। अगर किसी मरीज को कोई परेशानी हो तो वे सीधे मेंरे पास आकर परेशानी बता सकते हैं। – एके मालवीय, प्रबंधक रेलवे अस्पताल