“500 और “1000 के नोटों पर रोक के बाद अब लोग लाख–दो लाख रुपये ट्रेनों के टिकट खरीदने में लगा रहे हैं। लोग लम्बी दूरी की राजधानी एक्सप्रेस और दूसरी ट्रेनों में चार से लेकर छह लोगों के समूह के टिकट बनवा रहे हैं। इसे गम्भीर मानते हुए रेलवे गोर्ड अब 15 हजार रुपये से अधिक कीमत की हर बुकिंग की मॉनिटरिंग करवाएगा।
दशक भर पहले भी कुछ लोग लम्बी दूरी के सफर के दौरान कैश के बजाय ट्रेन के उच्च दर्जे का टिकट ले जाते थे और बाद में उसे कैंसल कर कैश करवा लेते थे। बाद में डेबिट और क्रेडिट कार्ड का चलन बढ़ने पर यह चलन समाप्त हुआ। इस बीट मंगलवार रात 500 व 1000 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा हुई तो फिर कुछ लोगों ने घरों में रखे 500 और 1000 के नोटों से टिकट बनवाने शुरू कर दिए।
दिल्ली में एक महिला ने त्रिवेन्द्रम राजधानी एक्सप्रेस में करीब डेढ़ लाख रुपए के टिकट बनवा लिए। लखनऊ में भी एक यात्री ने 68 हजार रुपए के टिकट बनवाए तो अफसर हरकत में आ गए। इसके बाद दिल्ली से कहा गया कि महंगे टिकट बनवाने वालों से पैन लिया जाना चाहिए।
पहले रेलवे में टिकट खरीदने के लिए पैन की कोई आवश्यकता नहीं थी, लेकिन 9 नवम्बर को जब लोग लम्बी दूरी की चुनिंदा ट्रेनों में फर्स्ट एसी के टिकट खरीदने लगे तो रेलवे बोर्ड ने 50 हजार रुपए से अधिक के टिकटों पर पैन कार्ड की फोटो कापी अनिवार्य कर दी। शाम होते–होते यह रकम घटाकर 15000 रुपए कर दी गई।