भारत ही नहीं बल्कि तमाम देशों में बढ़ती उम्र में शादी का चलन बढ़ता जा रहा है। देरी से शादी होने पर आज कल बेमेल विवाह का चलन बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों और समाज शास्त्रियों के अनुसार भी यह प्रथा ठीक नहीं है। जितनी देरी से शादी होगी संतान की परवरिश में भी उतना अधिक समय लगेगा। आप 60 वर्ष के होंगे और बच्चे 20 वर्ष के, तो उस शारीरिक अवस्था में शायद मुश्किल आये।45 पार के पिता के अधिकतर बच्चे औटिज्म एकाग्रता और सक्रियता में कमी का शिकार ही नहीं होते वरन आत्मकेंद्रित सनकी और बाइपोलर डिजीज नामक मानसिक बीमारी के भी शिकार होते हैं। ऐसे बच्चे अधिकतर मादक पदार्थों के सेवन और आत्महत्या के प्रयास में ज्यादा लिप्त पाए गए हैं।
कारण और निवारण
इस समस्या की मूल वजह है उम्रदराज होते शुक्राणु। 20 से 30 वर्ष आयु तक शुक्राणुओं की गुणवत्ता, सक्रियता और संख्या बेहतर रहती है और फिर तीनों में गिरावट शुरू हो जाती है। 45 से 55 के बीच तो इसमें औसतन 54 फीसदी की गिरावट आ जाती है।कारण शुक्राणु जीवन पर्र्यंत नष्ट होते और नए बनते रहते हैं।ये जिन कोशिकाओं से बनते हैं उन के लगातार विभाजन का असर गुणसूत्रों पर पड़ता है।
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