सीसीटीवी ने पकड़ी मात्र 3 वारदात
रेलवे स्टेशन में लाखों रुपए से लगाए सीसीटीवी कैमरे बेकार साबित हो रहे है। पिछले 4 साल में नागपुर रेलवे स्टेशन पर हुई 1140 चोरी की घटनाओं में से केवल तीन वारदातें ही सीसीटीवी कैमरे की मदद पकड़ी जा सकी।
वर्ष चोरी की घटनाएं सीसीटीवी से खुलासा 2014 364 0 2015 320 1 2016 386 2 2017(मार्च तक) 70 0
नागपुर रेलवे स्टेशन पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। उम्मीद थी कि रेलवे स्टेशन परिसर में हर हरकत इन कैमरों में कैद होगी। गैर कानूनी गतिविधियों पर शिकंजा कसा जा सकेगा। पर रेलवे ने शायद क्वालिटी को लेकर समझौता कर लिया। कैमरे ऐसे लगा लिए गए, जिनकी क्वालिटी ठीक नहीं थी। लेंस की क्वालिटी अच्छी नहीं होने के कारण अपराधी पहचान में ही नहीं आते। अब स्थिति यह है कि इस तरह की आपराधिक गतिविधियां कैमरों में कैद तो हो रही हैं, पर पहचानने में दिक्कत हो रही है। इस कारण रेलवे पुलिस के हाथ अपराधियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। तभी तो 4 साल में रेलवे स्टेशन पर 1140 चोरी की घटनाएं हुई हैं। इनमें से सीसीटीवी कैमरे की मदद मात्र तीन घटनाओं को खोलने में मदद मिली।
इस आंकड़े के जानने-समझने के बाद शायद अब मन में कोई सवाल रखने की जगह नहीं बची है। कई घटनाएं कैमरे के सामने हुईं हैं। पर पहचान में कुछ नहीं आ रहा। ऐसे में रेल पुलिस के हाथ भी बंध जाते हैं।
नागपुर रेलवे स्टेशन पर 45 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वर्तमान में ये कैमरे अपराधियों को पकडऩे नहीं, उन्हें डराने भर के काम आ रहे हैं। वजह, इनकी लेंस की क्वालिटी अच्छी नहीं होना। घटनाएं हो रही हैं, पर फुटेज में कुछ साफ नजर नहीं आता।
स्टेशन परिसर में जीआरपी से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 में 364 चोरी की घटनाएं हुईं।नमें से एक भी चोरी का खुलासा सीसीटीवी के मदद से नहीं हो सका है। वर्ष 2015 में 320 चोरी की घटनाएं हुईं। केवल 1 चोरी का सुराग कैमरों से लग पाया है। इसमें 2 आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया।
वर्ष 2016 में 386 चोरी की घटनाएं हुईं। 2 घटनाओं में कैमरों की मदद से 4 आरोपी को पकड़ा गया है। वर्ष 2017 अब तक 70 चोरी की घटनाएं हुई हैं। अब तक एक भी घटना को सीसीटीवी की मदद से उजागर नहीं किया जा सका है।
स्टेशन पर अधिकांश जगह लगे कैमरे खराब हैं। कुछ कैमरे ठीक तरीके से काम कर रहे हैं। लेकिन इन्हें सही जगह पर नहीं लगाया गया है। ऐसे में आपराधिक गतिविधियों पर शिकंजा नहीं कसा जा पा रहा है।
स्टेशन परिसर में घूमते कैमरे लगने वाले थे। करीब 5 साल पहले इसकी घोषणा भी हुई थी। पर अभी तक कोई अता-पता नहीं है। इन कैमरों की मदद एक खास तरह का सॉफ्टवेयर भी करेगा। कंप्यूटर में फीड किसी अपराधी के फोटो से मिलता-जुलता या वही चेहरा कैमरा कैप्चर करेगा तो इसकी सूचना मिलने लगेगी। ताकि पुलिस समय से हरकत में आ जाए और उस अपराधी को दबोचा जा सके।