सफाई की कमी, नहीं मिलता ठंडा पानी इसलिए पिछड़ गया बिलासपुर रेलवे स्टेशन

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बिलासपुर रेलवे स्टेशन में सफाई निम्न दर्जे की, शौचालयों में भी गंदगी, स्टालों में सफाई नहीं, खान-पान खुले में रखा होना। वाशिंग एप्रन पुराने जमाने का, पार्किंग की सुविधा सही नहीं होना। इन चीजों ने बिलासपुर रेलवे स्टेशन के दर्जे को एक साल में तीसरे से 29वें स्थान पर पहुंचा दिया है। बिलासपुर ए-1 श्रेणी का स्टेशन जरूर है लेकिन व्यवस्थाएं उसके अनुकूल नहीं है। स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत रेल मंत्रालय ने पिछले साल शुरू की थी। शुरुआत में 400 रेलवे स्टेशनों में किए गए सर्वे में बिलासपुर रेलवे स्टेशन देशभर में तीसरे स्थान पर था। सर्वे का काम आईआरसीटीसी के जरिए क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया को सौंपा गया था। इस कंपनी ने देशभर में सर्वे किया। ऑडिट टीम ने जो देखा, जो सुना उसे अपने रिकार्ड में ले लिया। रेलवे अफसरों को पता नहीं चला कब कौन आया? कहां आया? किससे मिला? क्या पूछा? क्या मिला? ऐसे में कोई भी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। लेकिन बिलासपुर रेलवे स्टेशन की जैसी व्यवस्था है उससे सभी पूरी तरह से संतुष्ट हैं। वे तो इस बात पर खुश हैं कि देशभर में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे स्वच्छता के नाम पर प्रथम स्थान पर रहा है। यहां साफ-सफाई दिन भर होती है लेकिन कुछ अव्यवस्थाएं हैं जो जनता को नजर तो आती है लेकिन रेलवे प्रशासन के लिए यह सामान्य बात है। प्रोसेस ऑडिट में बिलासपुर जोन को 226.4, डायरेक्ट आब्जर्वेशन में 188.1 और सिटीजन फीडबैक में 299.3 अंक मिले हैं। रेलवे की भाषा में रेलवे स्टेशन के जितने भी प्लेटफार्म हैं वहां पर जो भी व्यवस्थाएं हैं वे सर्कुलेटिंग एरिया कहलाती है। यहां की सारी व्यवस्थाओं के लिए कमर्शियल विभाग और मैकेनिकल विभाग जिम्मेदार है। लेकिन ज्यादातर मामले कमर्शियल विभाग से संबंधित हैं। सीनियर डीसीएम रश्मि गौतम का कहना है कि व्यवस्था को लेकर तो पूरी तरह से संतुष्ट हैं इसलिए तो बिलासपुर जोन पहले नंबर पर रहा है। रेलवे स्टेशन पर देखने का पैरामीटर क्या रहा होगा यह तो ऑडिटर ही जानें। हम मानिटरिंग करते हैं। स्वच्छता की ऑडिट में बिलासपुर रेलवे जोन देशभर में प्रथम स्थान पर रहा है। यह इसलिए है कि जोन के स्टेशनों में सफाई के गंभीर प्रयास चल रहे हैं। इसमें काफी सुधार आया है। इसका ही परिणाम है कि जोन देशभर में पहले स्थान पर आया। जहां तक बिलासपुर रेलवे स्टेशन के 29वें नंबर पर आने का सवाल है तो देशभर के स्टेशनों में इस दिशा में प्रयास चल रहे हैं इसलिए रैंकिंग में अवश्य ही पिछड़ गए हैं लेकिन धरातल में यहां की सफाई बेहतर है। प्लेटफार्म में गंदगी, डस्टबिन तो रखे गए हैं, पर उसका सही उपयोग नहीं होता। प्लेटफार्म पर मशीन के जरिए सफाई। शौचालयों में साफ-सफाई का अभाव। जगह-जगह पान के पीक के निशान। पीने के पानी का नल जहां है वहां पर गंदगी है। ठंडे पानी के लिए वाटर कूलर तो हैं पर ज्यादातर बंद रहते हैं। प्लेटफार्म के खान-पान स्टाल साफ-सुथरे होने चाहिए। रेलवे के नियमानुसार वहां पर सभी चीजें होनी चाहिए। लेकिन प्लेटफार्म के ज्यादातर स्टाल में साफ-सफाई का अभाव दिखता है। खाने के सामान खुले में रखे रहते हैं। एक दो ही स्टाल हैं जहां पर खाने की चीजें जालीदार कपड़ों से ढंकी दिखाई देती है। पार्किंग को लेकर परेशानी है। किसी भी स्टैंड में शेड नहीं है। गाडिय़ां स्टैंड के बाहर कहीं भी पार्क कर दी जाती है। ऑटो स्टैंड होने के बाद भी वे सडक़ों पर खड़े रहते हैं। इन पर अफसरों को कोई नियंत्रण नहीं है। सिटी बस के लिए कोई स्थान नहीं है उसे भी सडक़ पर खड़ा रखा जाता है। यातायात अव्यवस्थित होता है। वाशिंग एप्रेन प्लेटफार्म नंबर 4 ओर 8 में नहीं है। पटरियों के बीच गंदगी फैली रहती है। उसे निकालने के लिए नाली बनी है लेकिन वह भी व्यवस्थित नहीं है इसलिए पानी वहीं भरा रहता है। इससे गंदगी होती है।

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