पूनम का शॉर्ट प्रोफाइल इस प्रकार से है :
-बर्थडे – 24 अगस्त 1991
-हाईस्कूल – 2007
-12वीं – 2009
-ग्रैजुएशन कर रही हैं।
-2011 में स्पोट्र्स कोटा से रेलवे में नौकरी लगी
-पहली सैलरी – 20 हजार रुपए
आगरा, आईसीसी महिला क्रिकेट वल्र्ड कप में आगरा की पूनम यादव बॉलिंग का जादू बिखेर रही हैं। इंटरनेशनल क्रिकेटर बनने के पहले से पूनम रेलवे में जूनियर क्लर्क की जॉब कर रही हैं। इस साल उनका प्रमोशन होगा। उन्होंने जॉब के साथ अपना क्रिकेट करियर बनाया है। उनकी फैमिली ने एक अखबार के साथ अपनी बेटी की सक्सेस स्टोरी शेयर की। बचपन से लडक़ा बनने की थी चाहत…
पूनम के पिता आरबी सिंह आर्मी के रिटायर्ड सूबेदार मेजर हैं। उन्होंने बताया, बचपन से ही इसका झुकाव स्पोट्र्स की तरफ था। एक बार मैं इसके लिए सलवार-सूट खरीदकर लाया तो ये रोने लगी। बोली मुझे लड़कियों वाले कपड़े अच्छे नहीं लगते, मुझे सिर्फ शर्ट-पैंट चाहिए।
बचपन में पूनम ननिहाल में मामा के सामने जिद पकडक़र बैठ गई थी। कहती थी कि मामा मुझे लडक़ा बना दो। मैं लडक़ा बनना चाहती हूं। स्कूल-मोहल्ले में भी उसके सिर्फ लडक़े ही दोस्त थे।
घर पहुंची थी कोच
आरबी सिंह बताते हैं, 8 साल की उम्र में जब इसने क्रिकेट खेलने के लिए स्टेडियम जाने की जिद की तो इसकी हरकतें देख मोहल्ले वाले ताने देने लगे। लोग कहते थे- लडक़ी बड़ी हो रही है, उसे स्टेडियम भेजना सेफ नहीं है, बदनामी होगी। मैं भी उनकी बातों में आ गया और इसका स्टेडियम जाना बंद करवा दिया।
एक दिन यह चुपके से स्टेडियम भाग गई और वहां से अपनी कोच हेमलता काला को घर ले आई। उन्होंने हमें समझाया कि क्रिकेट में लड़कियों का करियर भी सेफ है। उनकी बात सुन हम भी पिघल गए और इसे क्रिकेट खेलने की आजादी दे दी।
ऐसा था रूटीन
पूनम 8 साल की उम्र से रोज सुबह 4 बजे उठती थी। दो घंटे स्टेडियम में क्रिकेट प्रैक्टिस के बाद 6 बजे स्कूल जाना होता था। शाम को फिर से क्रिकेट के लिए स्टेडियम पहुंच जाती थी। उसके रूटीन में सिर्फ स्टडीज और क्रिकेट शामिल था।
शुरुआत में उनका आगरा मंडल में सिलेक्शन हुआ, फिर यूपी की टीम से खेलीं। वो अंडर-19 टीम की कैप्?टन भी रह चुकी हैं।
5 अप्रैल 2013 को बांग्लादेश के खिलाफ वडोदरा में हुए टी-20 इंटरनेशनल मैच से करियर की शुरुआत की।
करियर के पहले वनडे मैच में इन्होंने 15 रन देकर 3 विकेट लिए थे। यह इंडियन वुमेन क्रिकेट का चौथा बेस्ट वनडे डेब्यू रिकॉर्ड है।