पटना, रेलवे को बर्बाद करने के लिए ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे निजीकरण को बढ़ावा तो मिल ही रहा है, लेकिन काम का स्तर घटिया होता जा रहा है। पटना की साफ-सफाई व्यवस्था को निजी हाथों में देने के बाद ही इसकी रैंकिंग निचले पायदान की ओर खिसकने लगी है। कभी सफाई में अव्वल रहने वाला पटना जंक्शन आज 28वीं पायदान पर पहुंच गया है। रेलवे के जिस दफ्तर में एक भी महिला काम कर रही हैं उनके लिए अलग से शौचालय व चेंजिंग रूम बनाने का प्रावधान है। महिला उत्पीडऩ सेल गठन करने का आदेश कब का हो चुका है। फिर भी इसे शुरू नहीं किया जा रहा है। मजदूर नेताओं का कहना है कि इसके लिए रेलवे बोर्ड के आला अधिकारियों से बात की जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार ठेका सिस्टम को बढ़ावा देने का ही असर है कि पूर्व मध्य रेल सफाई के मामले में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है। मिली जानकारी के अनुसार महिला रेलकर्मियों के मातृत्व अवकाश को दो साल करने पर रेल मंत्रालय से सहमति बन गई है। रेल मंत्रालय दूसरे साल के वेतन में 20 फीसद की कटौती करने का प्रस्ताव दे रही है परंतु उनकी तरफ से फुल वेतन देने की मांग की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सातवें वेतन आयोग की विसंगितियों पर भी विस्तृत रिपोर्ट दे दी गई है।
रेल मंत्रालय की ओर से शीघ्र ही इस संबंध में विचार करने को कहा गया है। रेलकर्मियों की कई मांगों पर रेल मंत्रालय से बात की जा रही है। कई मांगों पर सहमति बन चुकी है।