यह बड़े खेद का विषय है कि २९ जून २०१६ को सरकार द्वारा किए गए वादे के बावजूद भत्तों के संशोधन में असामान्य रूप से देरी की जा रही है। सरकार द्वारा किए गए वादे के अनुसार इस संबंध में गठित हाई लेवल कमेटी, ७वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों की जांच करेगी तथा चार माह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश कर देगी। आज सरकार द्वारा किए गए वादे की तिथि से लेकर दस माह से भी अधिक बीत चुके हैं जबकि ७वें केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने की तिथि से १८ माह बीत चुके हैं।
अब जबकि वित्तीय सचिव की अगुवाई में कमेटी ने हालही में अपनी रिपोर्ट भत्तों से संबंधित ‘‘एम्पावर्ड कमेटी’’ को सौंप दी है, सरकार को अविलंब कार्रवाही करनी चाहिए तथा भत्तों विशेषकर मकान किराया भत्ता (एचआरए) तथा ट्रांसपोर्ट भत्ते में सुधार का निर्णय देना ही चाहिए। एनएफआईआर सरकार से यह भी अनुरोध करती है कि भत्तों में संशोधन
१ जनवरी २०१६ से लागू करने का निर्णय होना चाहिए। फेडरेशन इस बात पर भी जोर देती है कि ७वें केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा विशेषकर रेलवे में देय भत्तों को समाप्त करने की सिफारिश को अमान्य करते हुए उन्हें जारी रखा जाए क्योंकि यह भत्ते संरक्षा एवं प्रभावकारी सेवाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रेलवे कर्मचारियों के जोखिम भरे तथा अति जटिल कायो्रं को ध्यान में रखते हुए प्रदत्त किए गए थे। फेडरेशन यह उम्मीद करती है कि सरकार भत्तों के संबंध में अंतिम निर्णय लेते समय रेलवे की कार्यप्रणाली में शुमार दुष्वारियों, जिम्मेदारियों एवं कार्य की परिस्थितियों को महत्ता जरूर देगी। डॉ. राघवैय्या ने आगे कहा कि ट्रैक मेंटेनर्स, टेक्नीशियन्स, टेक्नीकल सुपरवाईजर्स, स्टेशन मास्टर्स, टे्रक कंट्रोलर्स, सिग्नलिंग स्टाफ आदि कोटियों के कर्मचारी २४ घंटे जोखिमपूर्ण ड्युटी निभाते हैं अत: वे अधिक राशि के भत्तों के पात्र हैं।